देहरादून। उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र के पास भारी भूस्खलन से नई झील के निर्माण का अंदेशा लगाया गया है। इसके चलते स्पेशलिस्ट टीम को मौके पर रवाना कर प्रभावित क्षेत्र में जाकर जांच करने के लिए कहा गया। इस टीम में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ), नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनयरिंग एंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि भारत-चीन सीमा के पास स्थित गंगोत्री ग्लेशियर पर भारी भूस्लखन की सैटेलाइट तस्वीर जारी हुई थी। इसके बाद स्पेशलाइज्ड टीम को मामले की जांच के लिए भेजा गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि भूस्खलन की वजह वहां ताजे पानी की झील बन गई है, जो ग्लेशियर पर असर डाल सकती है।
इससे पहले मंगलवार को भी गोमुख के लिए 12 सदस्यीय टीम रवाना की गई थी। मगर, गंगोत्री से करीब दो किमी आगे वन विभाग के कनखू बैरियर से वापस लौट आई। मंगलवार देर रात उत्तरकाशी पहुंचे टीम के सदस्यों ने बताया कि पर्याप्त संसाधन नहीं होने और भारी बर्फवारी के कारण टीम आगे नहीं बढ़ सकी।
डीएम डॉ. आशीष चौहान के अनुसार, टीम के सदस्यों ने बताया कि यदि उच्च हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन हुआ होता, तो भागीरथी नदी का पानी मटमैला हो जाता। या इस तरह के अन्य कोई संकेत उन्हें मिल जाते। हालांकि, प्रभावित क्षेत्र की वास्तविक स्थिति का पता करने के लिए मौसम में सुधार होते ही टीम को गोमुख के लिए रवाना कर दिया गया है।
अक्टूबर में गंगोत्री से गोमुख तक पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों ने देखा था कि पहाड़ों पर भूस्खलन की वजह से गिरे मलबे के कारण उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री के गोमुख मार्ग में गंगा नदी का जलमार्ग प्रभावित हो रहा है। इस दौरान पाया गया था कि 13,200 फीट (4,023 मी) में स्थित ग्लेशियर में दरारें पड़ गई हैं और यहां झीलनुमा ढांचा भी बन गया है।
यहीं से गंगा का उद्गम होता है। वैज्ञानिकों ने यह भी पता किया कि झील के निर्माण के कारण अब नदी का बहाव ग्लेशियर के बाईं तरफ से होता है जबकि पहले यह सीधी बहती थी।