गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ के हर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सबकी निगाहें अब भारत को ढूंढती है कि वहां से कौन आया है। एक ज़माना था जब भारत को संभवतः कोंनटा मिलता था, जो आज फ्रंट में तब्दील हो गया है! आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस बार 23 वाँ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 15-16 अक्टूबर 2024 को संपन्न हुआ, जिसमें सभी देशों की निगाहें भारत पर थी देखा गया के एससीओ से अलग भारतीय व पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों में कुछ समय गुफ्तगू हुआ जो भारत पाकिस्तान दोनों के अधिकृत एजेंडे,बयानों में नहीं है परंतु मीडिया में इस तरह की खबरें जोर पकड़ रही है,यानें दोनों देशों के संबंध सुधारने की दिशा में शायद एक कदम उठ सकता है। चूँकि भारत नें पड़ोसी के घर में जाकर हुंकार भरी कि अच्छे पड़ोसी संबंधों व विश्वास में गिरावट की परिस्थितियों के करणों का विश्लेषण करना ज़रूरी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत का एससीओ की तीन बुराइयों आतंकवाद अलगाववाद व उग्रवाद का मुकाबला करनें का आगाज़ वाकई सराहनीय कदम है।
साथियों बात अगर हम इस्लामाबाद पाकिस्तान की मेज़बानी में 15-16 अक्टूबर 2024 को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की करें तो, 23वां शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन हाल ही में समाप्त हुआ। यह शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय सहयोग और विकास पर केंद्रित था, जिसमें सदस्य देशों ने सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के बाद, वह इस्लामाबाद से नई दिल्ली आ गए। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर विशेष ध्यान दिया गया, साथ ही अन्य सदस्य देशों के साथ भारत के व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया। एससीओ शिखर सम्मेलन में अक्सर क्षेत्रीय स्थिरता, विकास, और सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत होती है, और इस साल के आयोजन ने इन विषयों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया।बता दें कि पाकिस्तान पहुंचे विदेश मंत्री ने 16 अक्टूबर को एससीओ समिट को संबोधित करते हुए पाकिस्तान-चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट के कारण भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया। विदेश मंत्री ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों का सहयोग परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। यह जरूरी है कि सभी देश क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दें, इसके लिए वास्तविक साझेदारी का निर्माण होना चाहिए, न कि एकपक्षीय एजेंडे पर आगे बढ़ा जाना चाहिए।विदेश मंत्री ने सीपीईसी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अगर हम दुनियाँ की चुनिंदा प्रथाओं को ही आगे बढ़ाएंगे खासकर व्यापार और व्यापारिक मार्गों के लिए तो एससीओ की प्रगति नहीं हो पाएगी। बता दें कि सीपीईसी को लेकर भारत की चिंता है कि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, इस क्षेत्र को भारत अपना अभिन्न अंग मानता है। बता दें विदेश मंत्री एस जयशंकर ऐसे पहले विदेश मंत्री हैं जो 9 साल में पहली बार पाकिस्तान दौरे पर गए हैं।इससे पहले 2015 में सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के रूप में पाकिस्तान का दौरा किया था।पाकिस्तान में एससीओ समिट ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव है। ऐसे में विदेश मंत्री का इस सम्मेलन में शिरकत के लिए जाना काफी अहम है। भारत के विदेश मंत्री इस्लामाबाद में एससीओ की बैठक में हिस्सा लेकर बुधवार देर शाम तक नई दिल्ली लौट आए। जयशंकर तकरीबन 24 घंटे पाकिस्तान की राजधानी में रहे, इस दौरान उन्होंने दो बार पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से हाथ मिलाया, पीएम शरीफ की तरफ से आयोजित रात्रि भोज में हिस्सा लिया और दोपहर के भोज में जयशंकर की शरीफ के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई। हालांकि, इसे दोनों देशों के बीच संबंध में बड़े सुधार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
साथियों बात अगर हम भारत के संबोधन में चीन पाकिस्तान पर दो टूक की करें तो,शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पाकिस्तान दौरे पर गये विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी है।एससीओ समिट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने पाकिस्तान-चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट के कारण भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया है। विदेश मंत्री ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों का सहयोग परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। यह जरूरी है कि एससीओ क़े सभी देश क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दें। इसके लिए वास्तविक साझेदारी का निर्माण होना चाहिए, न कि एकपक्षीय एजेंडे पर आगे बढ़ा जाना चाहिए। विदेश मंत्री ने सीपीईसी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि हम दुनियाँ की चुनिंदा प्रथाओं को ही आगे बढ़ाएंगे खासकर व्यापार और व्यापारिक मार्गों के लिए तो एससीओ की प्रगति नहीं हो पाएगी। बता दें कि सीपीईसी को लेकर भारत की चिंता है कि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, इसे क्षेत्र को भारत अपना अभिन्न हिस्सा मानता है।विदेश मंत्री ने एससीओ शिखर सम्मेलन में कहा कि एससीओ का प्राथमिक लक्ष्य आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद का मुकाबला करना है। वर्तमान समय में ये और भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए ईमानदार बातचीत, विश्वास, अच्छे पड़ोसी और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। एससीओ को इन तीन बुराइयों का मुकाबला करने में दृढ़ और संकल्पित होने की आवश्यकता है।
साथियों बात अगर हम शंघाई सहयोग संगठन में 16 अक्टूबर 2024 को भारतीय विदेश मंत्री के संबोधन की करें तो, दिन में इस्लामाबाद में एससीओ समिट की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना इशारों-इशारों में कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि अगर दोनों देशों के बीच दोस्ती में कमी आई है और पड़ोसी से संबंध बिगड़े हैं तो इस पर आत्मनिरीक्षण किया जाना चाहिए। अगर हमारे बीच भरोसे में कमी आई है तो हमें अंदर झांकने और विचार करने की जरूरत है सीपीईसी की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण और पुनःसंतुलन आज की वास्तविकताएं हैं। एससीओ देशों को इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। सहयोग, आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए।एससीओ समिट का शुरुआत करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा पाकिस्तान शांति, सुरक्षा और सामाजिक आर्थिक विकास चाहता है। अफगानिस्तान हमारे साथ जमीनी सीमा साझा करता है, इसलिए वहां शांति हमारे लिए जरूरी है। अफगानी जमीन का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 23वाँ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन15-16 अक्टूबर 2024- इस्लामाबाद पाकिस्तान में भारत की हुंकार।भारत की पड़ोसी के घर जाकर हुंकार- अच्छे पड़ोसी संबंधों व विश्वास में गिरावट की परिस्थितियों के कारणों का विश्लेषण करना ज़रूरीभारत का एससीओ को तीन बुराइयों, आतंकवाद अलगाववाद व उग्रवाद का मुकाबला करने का आगाज़ सराहानींय कदम।