नई दिल्ली: गांधी जयंती के अवसर पर भारत के संविधान क्लब में यौन हिंसा के सैकड़ों पीड़ितों ने एकजुट होकर समाज को दूषित कर रही यौन विकृत सामग्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की जोरदार मांग की। “जन सुनवाई” का आयोजन यौन विकृत सामग्री के उत्पादन के खिलाफ लड़ने वाले संगठनों के गठबंधन द्वारा किया गया, जिसमें पीड़ितों ने साहस के साथ अपने दर्दनाक अनुभव साझा किए और यह उजागर किया कि किस प्रकार पुरुष, इस प्रकार की सामग्री देखकर महिलाओं के साथ और उनके खिलाफ अपराध कर रहे हैं, जिसमें बलात्कार जैसे अपराध भी शामिल हैं। यह कार्यक्रम सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन, पीपल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया (PARI), संपूर्णा और सेवा न्याय द्वारा आयोजित किया गया था।
यौन उत्पीड़न, बलात्कार और शोषण के शिकार पीड़ितों ने बताया कि किस प्रकार पोर्नोग्राफिक सामग्री का प्रसार महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। इन महिलाओं ने अपने अनुभवों के माध्यम से स्पष्ट किया कि इस प्रकार की सामग्री का अनियंत्रित उपभोग साधारण पुरुषों को अपराधी बना रहा है।
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने दो साल पहले इस आंदोलन की शुरुआत की थी, और यह अभियान अब करोड़ों समर्थकों के साथ एक राष्ट्रीय जन आंदोलन का रूप ले चुका है। आज की जन सुनवाई इस लड़ाई का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई है, जिसमें सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और इंटरनेट पर यौन सामग्री को खत्म करने की पुरजोर मांग उठाई गई।
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री उदय माहुरकर ने प्रेस वार्ता में कहा, “अश्लील सामग्री का बढ़ता चलन हमारे समाज को बिगाड़ रहा है और युवाओं के मन में बुरे विचार भर रहा है। इससे यौन अपराध बढ़ रहे हैं। इस समस्या का हल बेहद जरूरी है, ताकि हम महिलाओं की इज्जत को बचा सकें और अपने समाज के अच्छे संस्कारों की रक्षा कर सकें।”
उन्होंने आगे कहा “नेटफ्लिक्स, X, ALTT और उल्लू सहित कई OTT/ऐप/सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म खुलेआम अश्लीलता और यौन विकृत सामग्री परोस रहे हैं। इस पर Save Culture Save Bharat Foundation ने सूचना एवं प्रसारण और MEITY मंत्री श्री अश्विन वैष्णव को पत्र लिखा था और इनके खिलाफ पुलिस में शिकायतें भी दर्ज कराई थीं। लेकिन उन्होंने बताया कि पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया है, जबकि शिकायतों के साथ ठोस अश्लील सामग्री के सबूत संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि देश को यह तय करना होगा कि इन गंदगी परोसने वाले प्लेटफार्मों से मिलने वाला राजस्व अधिक महत्वपूर्ण है या देश की संस्कृति और चरित्र।
उन्होंने सभी ऑडियो-विज़ुअल प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए एक नैतिक आचार संहिता कानून बनाने पर जोर दिया, जो पोर्नोग्राफी के निर्माण और वितरण को राष्ट्रविरोधी और बलात्कार को बढ़ावा देने वाली गतिविधि मानते हुए इसके उल्लंघनकर्ताओं को 10 से 20 साल की जेल और 3 साल तक जमानत न मिलने की सजा दे, साथ ही चार महीने में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई पूरी की जाए।
“भारत दुनिया का पहला यौन विकृत सामग्री मुक्त राष्ट्र क्यों नहीं बन सकता?” उन्होंने पूछा। श्री महुरकर ने यह भी मांग की कि सभी ऑडियो-विज़ुअल प्लेटफ़ॉर्म्स पर यौन विकृत सामग्री को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण स्थापित किया जाए।“
पीपल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया की संस्थापक योगिता भायाना ने भी माहुरकर जी के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यौन सामग्री का प्रसार भारत में यौन अपराधों में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है। हमें इसे रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित रख सकें।”
संपूर्णा की संस्थापक और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. शोभा विजेंद्र ने कहा कि तकनीक के जरिये इस हानिकारक सामग्री का तेजी से फैलाव हो रहा है। उन्होंने कहा, “1.5 अरब लोगों के देश में हर किसी की सामग्री देखने की आदतों पर नजर रखना मुश्किल है। इसका एकमात्र उपाय हर तरह की अश्लील सामग्री पर पूरी तरह से रोक लगाना है। अगर हमने इसे जड़ से नहीं रोका, तो यह हमारे समाज और संस्कृति को बर्बाद कर देगा।”
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन कई तरीकों से इस मिशन को आगे बढ़ा रहा है, जिसमें नीतियों में बदलाव, कानूनी समर्थन और जनता की भागीदारी शामिल है। आज का कार्यक्रम इस आंदोलन का एक अहम पड़ाव है, जिससे अश्लील सामग्री बनाने और फैलाने वालों को जिम्मेदार ठहराया जा सके और एक सुरक्षित, सांस्कृतिक रूप से सम्मानित समाज की मांग की जा सके।