नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि गाँव-गली से निकल अपनी मेहनत के बल पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना बड़ी बात है। प्रो. योगेश सिंह ने यह शब्द अंतर्राष्ट्रीय पहलवान एवं अभिनेता संग्राम सिंह से बातचीत के दौरान कहे। संग्राम सिंह बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति से मुलाक़ात करने पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सेवाएँ निशुल्क डीयू को उपलब्ध करवाने की पेशकश भी की। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष एवं पीआरओ अनूप लाठर भी उपस्थित रहे।
संग्राम सिंह द्वारा अपनी संघर्ष पूर्ण जीवन यात्रा सुनाए जाने पर कुलपति ने कहा कि छोटे से बीज से बड़ा वट वृक्ष बनता है। कुलपति ने कहा कि ऐसे व्यक्ति सदा देश हित में ही काम करते हैं और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं। गौरतलब है कि संग्राम सिंह कई वास्तविक हिन्दी टीवी कार्यक्रमों में भी आ चुके हैं। वह बिग बॉस के 7वें संस्करण में भी नज़र आए थे। संग्राम का जन्म हरियाणा के रोहतक जिला के मदीना गांव में हुआ। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। संग्राम को रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी थी और अपने जीवन के पहले आठ वर्षों तक वे व्हीलचेयर तक ही सीमित रहे। उनके पिता उम्मेद सिंह एक सेवानिवृत्त सेना के जवान हैं। उनकी मां रामोदेवी एक गृहिणी हैं।
संग्राम सिंह ने 1999 में दिल्ली पुलिस के साथ एक खिलाड़ी के रूप में अपना करियर शुरू किया और अखिल भारतीय पुलिस खेल 2005 में उन्होंने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता। 2012 में दक्षिण अफ्रीका में एक मैच के बाद, उनकी शैली, सहनशक्ति और कुश्ती की प्रकृति के लिए उन्हें विश्व कुश्ती पेशेवरों (डब्ल्यूडब्ल्यूपी) द्वारा विश्व के सर्वश्रेष्ठ पेशेवर पहलवान का खिताब दिया गया था। 2015 में संग्राम सिंह ने पोर्ट एलिजाबेथ में लास्ट मैन स्टैंडिंग फाइट में जो ई. लीजेंड को हराकर डब्ल्यूडब्ल्यूपी कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैम्पियनशिप जीती। 2016 को दक्षिण अफ्रीकी पहलवान अनंजी को हराकर दूसरी बार डब्ल्यूडब्ल्यूपी कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैम्पियनशिप जीती, बेल्ट भारत में ही रही। पहलवान संग्राम सिंह ने पूरे भारत से कई बच्चों को गोद लिया है ताकि उन्हें शिक्षित किया जा सके और उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य प्रदान किया जा सके।