नई दिल्ली। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। भक्त एक दिन लंबा उपवास रखते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और मंदिरों में विशेष प्रार्थना सभाओं और पूजाओं में भाग लेने के लिए एकत्र होते हैं।
आधी रात को, भगवान कृष्ण के जन्म के समय, भक्त कृष्ण की मूर्तियों को नहलाते और नए कपड़े पहनाते हैं, इसके बाद एक भव्य भोज होता है। महिलाएं अपने घरों के बाहर छोटे पैरों के निशान बनाती हैं, जो कृष्ण के उनके घरों में प्रवेश का प्रतीक हैं।
महाराष्ट्र में, अगले दिन दही हांडी के साथ समारोह जारी रहते हैं, जहां लोग दही और मक्खन से भरे मिट्टी के बर्तन तोड़ते हैं, जो कृष्ण के इन खाद्य पदार्थों के प्रेम का प्रतीक हैं।
कुछ क्षेत्रों में, लोग रास लीला करते हैं, जो कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को दर्शाने वाला एक नृत्य-नाटक है।
कृष्ण जन्माष्टमी अच्छाई की बुराई पर जीत का जश्न मनाती है और हमें कृष्ण के प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा की शिक्षाओं की याद दिलाती है।
झाकियों, समारोह एवम घरों में बच्चों को कृष्ण और राधा के रूप में तैयार करके जन्माष्टमी मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इस दिन, बच्चों को भगवान कृष्ण और राधा की वेशभूषा में सजाया जाता है, और वे अपने आसपास के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।
भारत में जन्माष्टमी अलग अलग जगह कुछ इस तरीके से मनाई जाती है:
1. मंदिरों में पूजा: जन्माष्टमी के दिन, मंदिरों को विशेष तौर से सजाया जाता है, विशेष पूजा और आरती की जाती है। भक्त भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नहलाते हैं, नए कपड़े पहनाते हैं और फूलों से सजाते हैं।
2. घरों में पूजा: घरों में, लोग भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सजाते हैं और पूजा करते हैं। वे व्रत रखते हैं और रात में भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं।
3. दही हांडी: महाराष्ट्र में, दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जहां लोग दही और मक्खन से भरे मिट्टी के बर्तन तोड़ते हैं।
4. रास लीला: कुछ क्षेत्रों में, रास लीला का आयोजन किया जाता है, कही झकिया निकली जाती है जो भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को दर्शाने वाला एक नृत्य-नाटक है।
5. भजन और कीर्तन: जन्माष्टमी के दिन, भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जहां लोग भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं और उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।
6. व्रत और उपवास: कई लोग जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हैं और रात में भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं।
7. मिठाइयाँ और व्यंजन: जन्माष्टमी के दिन, विशेष मिठाइयाँ और व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे कि माखन मिश्री, पंजीरी और कृष्णा प्रदीप।
घरों में बच्चों को कृष्ण और राधा के रूप में सजाकर, परिवार और समुदाय जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं और भगवान कृष्ण के प्रेम और शिक्षाओं का जश्न मनाते हैं।
महेश मिश्रा समाज सेवी, सचिव फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम दिल्ली तथा राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय युवा चेतना मंच ने इस अवसर देशवासियों को शुभकामनाएं दी और कहा की हमे श्री कृष्ण जी के दिखाए मार्ग जैसे मानवता, न्यायप्रियता, सहृदयता, सौहार्द, समानता आदि का अपने जीवन में अवलोकन करना चाहिए।