भारत, अमेरिका साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं : राजनाथ

asiakhabar.com | August 25, 2024 | 4:22 pm IST

वाशिंगटन। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर काम करने और एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाने के इच्छुक हैं। उन्होंने शनिवार को मैरीलैंड में एक शीर्ष अमेरिकी नौसैन्य युद्ध सामग्री केंद्र का निरीक्षण करने के बाद यह टिप्पणी की।
सिंह अमेरिका और भारत के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अमेरिका की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं।
सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कार्डेरॉक में नौसैन्य सतह युद्ध सामग्री केंद्र का दौरा किया और इस केंद्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयोगों को देखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका मिलकर काम करने तथा एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाने के इच्छुक हैं।’’
इससे पहले, सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की।
ऑस्टिन ने सिंह के साथ बैठक के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों की गति की प्रशंसा की।
उन्होंने विभिन्न रक्षा मुद्दों पर दोनों देशों के बढ़ते सहयोग का उल्लेख किया, जिसमें उनकी सेनाओं के बीच महत्वपूर्ण आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के प्रयास भी शामिल हैं।
ऑस्टिन ने कहा, ‘‘हम एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का दृष्टिकोण साझा करते हैं और हमारा रक्षा सहयोग लगातार मजबूत होता जा रहा है। हम अपने रक्षा औद्योगिक संबंधों का विस्तार कर रहे हैं तथा और क्षमताओं का सह-उत्पादन करने तथा आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने सभी क्षेत्रों में परिचालन सहयोग बढ़ाया है और उन्होंने ‘रिम ऑफ द पेसिफिक’ में भारत की भागीदारी पर प्रकाश डाला, जो हवाई में अमेरिकी नौसेना के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर किया गया अभ्यास था जिसमें 29 साझेदार देशों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नाविकों ने संकट में नौसैनिकों की मदद की है और वैश्विक व्यापार की रक्षा की है। इसलिए हम नौसैन्य सहयोग मजबूत करने और मानवरहित प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर और अधिक काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
बयान के अनुसार, प्रस्तावित बिक्री से भारत की वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा और इसके साथ ही एमएच-60आर हेलीकॉप्टर से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन की क्षमता भी बढ़ेगी।
इसमें कहा गया कि भारत को इस उपकरण को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।


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