गाजियाबाद:सरकारी निर्देश की अनदेखी करते हुए गाजियाबाद के इंदिरापुरम में सनराइज ग्रीन्स एक बार फिर विवादों में घिर गई है। डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेश के अनुसार सोसायटी से संबंधित मामले को सोसाइटी एक्ट 1860 की धारा 25(1) के तहत उप-जिला अधिकारी( सदर) कोर्ट गाजियाबाद में निपटाया जाना था। इसके अलावा, माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2024 को आदेश दिया कि उप-जिला अधिकारी सदर कोर्ट इस प्रक्रिया को पूरा करे। इसके बावजूद, सोसायटी के भीतर एक गुट ने विवादास्पद अध्यक्ष के साथ मिलीभगत करके चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इस कार्रवाई से बोर्ड के अधिकांश सदस्यों और कई निवासियों ने गाजियाबाद के उप-जिला अधिकारी सदर कोर्ट गाजियाबाद के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। नतीजतन, डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय ने 5 जून, 2024 को संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद, 11 जून, 2024 को आयोजित की जा रही चुनाव प्रक्रिया को अवैध माना गया। फिर भी विवादित समिति ने सोसायटी के चुनाव अधिकारी और एक गुट के साथ मिलकर रजिस्ट्रार के आदेशों की अवहेलना करते हुए विवादित चुनाव करवाए।
इसके बाद 7 जुलाई 2024 को गाजियाबाद के डिप्टी रजिस्ट्रार ने सोसायटी की नई विवादित समिति को शून्य घोषित कर दिया और सदर न्यायालय के उप-मंडल मजिस्ट्रेट से निर्णय प्राप्त होने पर आगे की कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया।
इस बीच गाजियाबाद के उप-जिला अधिकारी के कार्यालय ने भी विवादित चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव से पहले 14 जून 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। 13 जुलाई 2024 को आदेश सुनाते हुए आपने स्पष्ट किया कि मेरठ के डिप्टी रजिस्ट्रार ने जिन शिकायतों पर धारा 25(1) के तहत जांच के आदेश दिए थे, वे झूठी पाई गईं। नतीजतन, 2023 मैं बनी बोर्ड को वेद घोषित किया गयाl
उपरोक्त मामले में सरकारी आदेशों की अवहेलना, न्यायालय की अवमानना, भारतीय दंड संहिता की धारा 182 (लोक सेवक को गलत सूचना प्रदान करना) के तहत साजिश, धारा 34 के तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अवैध गतिविधियों के साथ-साथ झूठा मामला दर्ज करने के मामले प्रथम दृष्टया स्पष्ट हैं। गाजियाबाद न्यायालय के उप-जिला अधिकारी द्वारा जारी आदेश में विशिष्ट विवरण दिए गए हैं.