हॉन्गकॉन्ग-सिंगापुर के बाद अब नेपाल ने भी भारतीय मसालों की ब्रिकी पर लगाया प्रतिबंध

asiakhabar.com | May 18, 2024 | 5:41 pm IST

काठमांडू। भारत के दिग्गज मसाला ब्रांड्स पर आई आफत दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। भारतीय मसालों को लेकर पिछले महीने जो विवाद शुरू हुआ था, वह अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग होते हुए ये विवाद अब नेपाल तक पहुंच गया है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के चलते भारतीय ब्रांडों द्वारा निर्मित कुछ मसालों की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
पड़ोसी देश ने यह बताई वजह
नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता नियंत्रण विभाग ने 100 से ज्यादा पुरानी भारतीय मसाल कंपनी एवरेस्ट और एमडीएच के आयात, उपभोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा एथिलीन ऑक्साइड के मात्रा की भी जांच शुरू कर दी है। बता दें कि एमडीएच और एवरेस्ट के चार उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की अधिक मात्रा का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगा गया है।
इन मसालों पर लगाया प्रतिबंध
जिन मसालों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें- मद्रास करी पाउडर, सांभर मिक्स मसाला पाउडर, एमडीएच का मिक्स्ड मसाला करी पाउडर और एवरेस्ट का फिश करी मसाला शामिल है।
नेपाल के खाद्य नियंत्रण विभाग के अधिकारी का बयान
नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता नियंत्रण विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘हमारा ध्यान मीडिया में आई उन खबरों की ओर गया है, जिनमें कहा गया कि ये घटिया उत्पाद बाजार में बेचे जा रहे हैं और ये उपभोग के लिहाज से नुकसानदेह हैं। इन चार उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की अधिक मात्रा पाई गई है। इसलिए देश के भीतर इन उत्पादों के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।’
खाद्य गुणवत्ता नियंत्रण नियामक ने आयातकों और व्यापारियों से इन उत्पादों को बाजार से वापस लेने का भी आग्रह किया है।
हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर ने भी लगाया प्रतिबंध
गौरतलब है, पिछले महीने हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर ने कुछ मसालों पर बैन लगा दिया था। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स (एफआईएसएस) ने शुक्रवार को कहा कि अगर निर्यात के लिए मसालों में एथिलीन ऑक्साइड संदूषण के मुद्दे को जल्द से जल्द हल नहीं किया जाता है तो वित्त वर्ष 2025 में भारत का मसाला निर्यात लगभग 40 प्रतिशत घट सकता है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार, भारत दुनिया के प्रमुख मसाला उत्पादकों में से एक है, जो 2021-22 में लगभग 180 देशों को चार अरब डॉलर मूल्य के 200 से अधिक मसालों और मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्यात करता है।
भारतीय मसाला बोर्ड ने उठाए क्या कदम?
मसाला विवाद के बीच भारतीय मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला एक्सपोर्ट की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। बोर्ड ने टेक्नो-वैज्ञानिक समिति की सिफारिशों को लागू किया है, जिसने मेन कारण जानने की कोशिश की और इसके प्रोसेसिंग फेसिलिटी का भी निरीक्षण किया। टेस्टिंग के लिए सेंपल्स सर्टिफाइड लैब में भेजे गए हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड ने 130 से ज्यादा निर्यातकों और संघों, जैसे कि अखिल भारतीय मसाला निर्यातक मंच और भारतीय मसाला और खाद्य पदार्थ निर्यातक संघ, को शामिल करते हुए एक स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन का भी आयोजन किया। बोर्ड ने सभी निर्यातकों को ईटीओ ट्रीटमेंट के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। मसाला बोर्ड ने भारत से निर्यात होने वाले मसालों में ईटीओ कॉन्टेमिनेशन को रोकने के लिए ये कदम उठाया है।
एमडीएच, एवेरेस्ट में कैंसर कारक केमिकल होने का आरोप
बता दें कि अप्रैल महीने में हॉन्गकॉन्ग ने भारतीय ब्रांडों एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसाला प्रोडक्ट को बैन कर दिया था। इसकी वजह उन्होंने कैंसर पैदा करने वाले केमिकल एथिलीन ऑक्साइड पाया जाना बताई थी।


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