स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और अखंड ज्योति ने बिहार के मस्तीचक में आई केयर अकादमी की स्थापना की

asiakhabar.com | April 30, 2024 | 4:21 pm IST
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भारत: अखंड ज्योति के साथ साझेदारी में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पहल के माध्यम से समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत, बिहार के मस्तीचक में एक आई केयर अकादमी शुरू करने की घोषणा की है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड-अखंड ज्योति आई केयर अकादमी का लक्ष्य चार साल की अवधि में पिछड़े वर्ग की 95 लड़कियों को व्यापक ऑप्टोमेट्री एजुकेशन (आंखों की जांच करने और विजन में सुधार के लिए सही लेंस या एक्सरसाइज निर्धारित करने का पेशा) और प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिससे वे बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री की डिग्री प्राप्त कर सकें। अकादमी एक व्यापक पाठ्यक्रम, व्यावहारिक प्रशिक्षण और परामर्श के अवसर प्रदान करेगी, जिससे छात्रों को स्नातक स्तर पर ऑप्टोमेट्री के क्षेत्र में प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए विशेषज्ञता और आत्मविश्वास से लैस किया जाएगा। इस प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद, उन्हें अपनी आवश्यकताओं के आधार पर भारत के लीडिंग आई केयर संस्थानों में से एक, अखंड ज्योति या किसी अन्य संस्थान के साथ अपने कौशल का अभ्यास करने के लिए सशक्त बनाया जाएगा।
हैदराबाद में एल वी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट और दिल्ली में डॉ. श्रॉफ चैरिटेबल आई हॉस्पिटल के साथ सफल साझेदारी के बाद, यह अकादमी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक द्वारा किया गया इस तरह का तीसरा सहयोग है। पिछले चार साल में अब तक इन दोनों संस्थानों से 3900 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
दुनिया में ब्लाइंडनेस यानी किसी न किसी रूप में अंधेपन के शिकार लोगों की कुल आबादी का एक-चौथाई हिस्सा भारत में है। एक अनुमान के अनुसार 159 अरब रुपये लागत और जीवनकाल में 2787 बिलियन रुपये के नुकसान के साथ, भारत में अंधेपन का आर्थिक प्रभाव चौंका देने वाला है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड, अपने फ्लैगशिप यानी प्रमुख कार्यक्रम “सीइंग इज बिलीविंग” (‘देखना ही विश्वास है’) कार्यक्रम के तहत, 2003 से इस अंतर को भरने पर काम कर रहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड समर्थन के माध्यम से, 500 से अधिक विजन सेंटर अस्तित्व में आए हैं और 3.6 मिलियन से अधिक सर्जरी की गई हैं। इस तरह के मजबूत प्राथमिक बुनियादी ढांचे के साथ, “सीइंग इज बिलीविंग” (‘देखना ही विश्वास है’) ने पिछड़े और वंचित समुदाय को 6 लाख से अधिक चश्मे वितरित किए हैं। हालांकि, टाले जा सकने वाले अंधेपन के मामलों को कम करने या खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रशिक्षित (ट्रेंड) कर्मचारियों की उपलब्धता एक चुनौती है।
भारत वर्तमान में ऑप्टोमेट्रिस्ट की कमी का सामना कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से इसकी बहुत ज्यादा कमी है। ग्रामीण भारत में हर 2,19,000 लोगों पर 1 ओफ्थल्मोलॉजिस्ट (नेत्र रोग विशेषज्ञ) के अनुपात के साथ, प्रशिक्षित आई केयर प्रोफेशनल की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। क्‍वालिटी आई केयर सर्विसेज ऑप्टोमेट्रिस्ट पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। ये लोग बीमारी का तुरंत पता लगाने, इलाज और पुनर्वास के माध्यम से ब्लाइंडनेस से निपटने में महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, भारत में कुशल कर्मचारियों की भारी कमी, क्‍वालिटी आईकेयर सर्विसेज में बाधा डालती है। एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित ऑप्टोमेट्रिस्ट की भूमिका काम विशेषज्ञों और समुदायों के बीच एक सेतु के रूप में काम करते हुए, आई केयर कार्यक्रमों में दक्षता, उत्पादकता और मरीज की संतुष्टि को बढ़ावा देना है।
करुणा भाटिया – हेड सस्टेनेबिलिटी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और ग्लोबल बिजनेस सर्विसेज, इंडिया ने कहा कि हम जीवन और समुदायों को बदलने के लिए शिक्षा की ताकत में भरोसा करते हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड-अखंड ज्योति आई केयर अकादमी अवसर प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाती है। समाज में वंचित लड़कियों को ऑप्टोमेट्री में करियर बनाने के लिए, उन्हें कौशल और ज्ञान के साथ सशक्त बनाया जाएगा, जो उनके भविष्य और उनके द्वारा सेवा किए जाने वाले समुदायों पर स्थायी प्रभाव डालेगा।
अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के फाउंडर और एग्‍जीक्‍यूटिव ट्रस्टी मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि इस अकादमी को बनाने में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का समर्थन अभूतपूर्व महत्व का है। यह कार्यक्रम समाज में पिछड़े वर्ग की ग्रामीण लड़कियों को योग्य ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में विकसित करता है, यह इन लड़कियों को सामाजिक परिवर्तन एजेंट के रूप में भी विकसित करता है। इस कार्यक्रम के पूरा होने पर, जब ये लड़कियां ऑप्टोमेट्रिस्ट बन जाती हैं, तो वे अखंड ज्योति के केंद्रों के नेटवर्क में ब्लाइंडनेस एलिमिनेशन ड्राइव (अंधापन उन्मूलन अभियान) का नेतृत्व करती हैं। साथ ही वे अपने जैसी अधिक लड़कियों को आगे आने और कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे एक बड़ा सामाजिक प्रभाव पैदा होता है। यह कार्यक्रम का दोहरा प्रभाव पैदा करता है, न केवल योग्य ऑप्टोमेट्रिस्ट तैयार करने में बल्कि इन लड़कियों को अपने समुदायों के भीतर सामाजिक परिवर्तन का एजेंट बनने के लिए सशक्त बनाने में भी।


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