दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर प्र्वतन निदेशालय ने गलत डाइट लेने का आरोप लगाया है। अदालत में ईडी ने कहा कि वह तिहाड़ जेल में जानबूझकर मीठा खा रहे हैं ताकि उनका शुगर लेवल बढ़ जाए तथा उन्हें मेडिकल आधार पर जमानत मिल जाए। केजरीवाल को टाइप-2 डायबिटीज है। वह सुबह-शाम आलू पूड़ी, मिठाई और आम खा रहे हैं। चीनी वाली चाय भी पी रहे हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि ईडी उनका घर का खाना बंद करना चाहती है। केजरीवाल रोज 56 यूनिट इंसुलिन लेते हैं। उनका ब्लड-शुगर लेवल ऊपर-नीचे होता रहता है। उन्हें लगातार कब्ज रहता है तथा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (खांसी) बनी रहती है। जेल डिस्पेंसरी की तरफ से नियमित जांच होने के बावजूद वह ब्लड शुगर के लिए निर्धारित डाइट नहीं ले रहे हैं। उधर अदालत में याचिका दायर कर केजरीवाल की जेल में सुरक्षा को खतरे में बताया गया है। आप नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भी लंबे समय से जेल में बंद हैं। केंद्र सरकार पर आरोप है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है। वह आप सरकार के काम-काज के तरीकों और उसकी प्रसिद्धि से घबरा कर ऐन लोक सभा चुनाव के पहले यह कदम उठाया गया। आप नेता संजय सिंह ने इस कृत्य को तानाशाही कहा, जबकि केजरीवाल ने जेल से भेजे संदेश में कहा कि मैं आतंकवादी नहीं हूं। हालांकि केजरीवाल को खुद को नुकसान पहुंचाने जैसा कदम उठाने से बचना चाहिए। निश्चित रूप से इससे दुनिया भर में उचित संदेश नहीं जा रहा है। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। यह तय है कि यदि केजरीवाल या उनके दल के अन्य नेताओं पर आरोप साबित होते हैं तो उन पर कानून शिंकजा कसेगा। भ्रष्टाचार को लेकर अपने यहां सिर्फ बातें ही बनाई जाती हैं। राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचारमुक्त होने पर जनता में संशय ही है। मोदी सरकार भी ऐसा कोई उदाहरण तय करने में सफल नहीं है, जिससे प्रतीत हो कि अपने नेताओं के भ्रष्टाचार को लेकर भी वह कड़े कदम उठा रही है। घातक संक्रमण की तरह फैलते भ्रष्टाचार से जूझना बड़ी चुनौती है, बदले की भावना से ऊपर उठ कर इससे मुक्त होने के सामूहिक प्रयास करने होंगे।