नई दिल्ली। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने राज्य में आरक्षण उद्देश्यों के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने के कर्नाटक सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का व्यापक वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम धर्म की सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIबी के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
एनसीबीसी ने पिछले साल क्षेत्र का दौरा किया था और शैक्षणिक संस्थानों एवं सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए राज्य की आरक्षण नीति की समीक्षा की थी।
एनसीबीसी ने सोमवार रात एक बयान में कहा कि कर्नाटक में मुस्लिम धर्म की सभी जातियों/समुदायों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों में माना जा रहा है और उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नियुक्तियों में आरक्षण प्रदान करने के लिए पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIबी के तहत अलग से मुस्लिम जाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
एनसीबीसी ने कहा कि पिछड़ी जाति के रूप में मुसलमानों का व्यापक वर्गीकरण खासकर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में पहचानी जाने वाली हाशिए पर पड़ी मुस्लिम जातियों और समुदायों के लिए सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
उसने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम समुदाय के भीतर वास्तव में वंचित और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्ग हैं, लेकिन पूरे धर्म को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर विविधता और जटिलताओं की अनदेखी होती है।