मुंबई। इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव और ब्याज दरों में कटौती शुरू होने की उम्मीद कमजोर पड़ने से विश्व बाजार में आई गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई जबरदस्त बिकवाली से बीते सप्ताह डेढ़ फीसदी से अधिक लुढ़के शेयर बाजार की चाल अगले सप्ताह नीतिगत दरों को लेकर अमेरिकी फेड रिजर्व के रुख और कंपनियों के तिमाही नतीजे से तय होगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1156.57 अंक अर्थात 1.6 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 73088.33 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 372.4 अंक यानी 1.7 प्रतिशत की गिरावट लेकर 22147 अंक पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों पर भी बिकवाली का दबाव रहा। इससे मिडकैप 904.51 अंक अर्थात 2.2 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 40004.51 अंक रह गया। इसी तरह स्मॉलकैप 438.28 अंक यानी 0.95 प्रतिशत कमजोर होकर 45433.79 अंक पर आ गया।
विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच दिग्गज कंपनियों के शेयरों के मजबूत प्रदर्शन के कारण सप्ताह के अंत में घरेलू बाजार गिरावट से उबरने में सफल रहा। ईरान-इजराइल तनाव घटने की संभावनाओं की उम्मीद से बाजार को बल मिला है। हालांकि घरेलू बाजार पूरे सप्ताह हुई गिरावट की भरपाई करने में विफल रहा। मध्य-पश्चिम में स्थिति नाजुक बनी रहने के कारण वैश्विक स्तर पर निवेशक सावधानी बरत रहे हैं।
इसके अलावा अमेरिका में महंगाई में अपेक्षा से अधिक बढ़ोतरी होने, खुदरा बिक्री बढ़ने और तेल की ऊंची कीमतों के कारण फेड रिजर्व के दर में कटौती में संभावित देरी ने निवेश धारणा को कमजोर किया है। इसे डॉलर सूचकांक, अमेरिकी बांड यील्ड और स्वर्ण की कीमत में उल्लेखनीय उछाल से समझा जा सकता है।
बीते सप्ताह घरेलू बाजार में बैंकिंग और आईटी जैसे समूहों में मुनाफावसूली का भी दबाव रहा। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार जोखिम लेने से बच रहे हैं और यह प्रवृत्ति पिछले सप्ताह से देखी जा रही है। कंपनियों की समाप्त वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में स्थिरता को देखते हुए लार्जकैप निवेशकों के लिए राहत की पेशकश कर सकता है।
निवेश सलाह देने वाली कंपनी जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने बताया कि अगले सप्ताह अमेरिका से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पीएमआई और बेरोजगारी दावों के आंकड़े फेड की नीतिगत दरों को लेकर रुख को स्पष्ट करत सकते हैं। इसके अलावा भारतीय पीएमआई आंकड़े और दिग्गज कंपनियों के वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही के नतीजे की अगले सप्ताह बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका रहेगी। अगले सप्ताह रिलायंस, मारुति, एक्सिस बैंक, इंडियन बैंक, इंडसइंड बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, टेक महिंद्रा, बजाज फिनसर्व और एचसीएल टेक के तिमाही नतीजे जारी होने वाले हैं।
बीते सप्ताह बुधवार को रामनवमी के अवसर पर अवकाश के कारण बाजार में चार दिन कारोबार हुआ, जिनमें से तीन दिन गिरावट और सप्ताह के अंतिम दिन तेजी रही। इजराइल पर ईरान के जवाबी हमले से क्षेत्रीय स्तर पर तनाव और गहराने से घबराए निवेशकों की स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली के दबाव में सोमवार को सेंसेक्स 845.12 अंक का गोता लगाकर करीब तीन सप्ताह के निचले स्तर 73,399.78 अंक और निफ्टी 246.90 अंक की गिरावट लेकर 22,272.50 अंक पर रहा।
अमेरिका में मार्च की खुदरा बिक्री के आंकड़े उम्मीद से अधिक मजबूत रहने से फेडरल रिजर्व के इस वर्ष ब्याज दरों में जल्द कटौती शुरू नहीं करने की आशंका में विश्व बाजार में आई गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर आईटी और टेक समेत दस समूहों में हुई बिकवाली से मंगलवार को सेंसेक्स 456.10 अंक लुढ़ककर 72,943.68 अंक और निफ्टी 124.60 अंक की गिरावट के साथ 22,147.90 अंक पर बंद हुआ।
विश्व बाजार की तेजी के बावजूद स्थानीय स्तर पर ऊर्जा, एफएमसीजी, हेल्थकेयर, बैंकिंग और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स समेत अठारह समूहों में हुई बिकवाली से गुरुवार को सेंसेक्स 454.69 अंक टूटकर 72,488.99 अंक और निफ्टी 152.05 अंक उतरकर 21,995.85 अंक रह गया। वहीं, विदेशी बाजार के कमजोर रुझान के बावजूद स्थानीय स्तर पर नीचे भाव पर वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और धातु समेत नौ समूहों में हुई लिवाली की बदौलत शुक्रवार को सेंसेक्स 599.34 अंक की छलांग लगाकर 73,088.33 अंक और निफ्टी 151.15 अंक उछलकर 22,147.00 अंक पर बंद हुआ।