मन:स्थली ने एक बच्चे को सोशल मीडिया की लत से बचाया

asiakhabar.com | April 18, 2024 | 4:02 pm IST
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नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया में डिजिटल टेक्नोलॉजी का बोलबाला है। हर उम्र का व्यक्ति डिजिटल टेक्नोलॉजी का आदी हो चुका है। वहीं बच्चों पर इस टेक्नोलॉजी का खास करके सोशल मीडिया का बहुत ख़राब असर पड़ा है। आज के समय में बच्चों की सेहत पर सोशल मीडिया की लत के प्रभाव के बारे में चिंताएं पहले से कहीं ज्यादा गंभीर हो गई हैं। हालाँकि उम्मीद तब जाग उठती है जब युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य और वेल बीइंग को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाली एक प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य और वेल बीइंग संस्था ‘मन:स्थली’ इस बारे में समाधान पेश करने के लिए कदम बढ़ाती है।
हाल ही में मन:स्थली ने एक बच्चे को सोशल मीडिया की लत की चपेट से बचाने का काम किया। इस केस से इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए मनस्थली की प्रतिबद्धता साबित हुई। दरअसल 7वीं कक्षा में पढ़ने वाला एक बच्चा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहता था। इसके बाद बच्चे के माता-पिता ने अपने बच्चे के अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से निजात पाने के लिए मन:स्थली से मदद मांगी।
बच्चे की स्थिति की गंभीरता को पहचानते हुए मन:स्थली ने बच्चे की जरूरतों के अनुसार काउंसिलिंग और सपोर्ट सर्विस प्रदान करके तेजी से काम किया। थेरेपी सेशन, एजुकेशनल वर्कशॉप और पर्सनालाइज्ड गाइडेंस से मन:स्थली ने सोशल मीडिया की लत को बढ़ाने वाले कारणों का समाधान करने और स्वस्थ आदतें विकसित करने के लिए बच्चे के साथ मिलकर काम किया।
मन:स्थली की फाउंडर-डायरेक्टर और अनुभवी मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योति कपूर ने इस केस के बारे में बताते हुए कहा, “हम यह जानते हैं कि सोशल मीडिया की लत का बच्चे के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है। 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 60% बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं और संयोग से प्रतिदिन 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया इंटरैक्शन एक बच्चे को डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की चपेट में ला रहा है। वहीं बेचारे बच्चे भी अपने माता-पिता से अपनी भावनाएं व्यक्त करने में असफल रहते हैं। इसलिए हमने इस केस में बच्चे को एक सपोर्टिव माहौल प्रदान किया और बच्चे को संघर्षों से उबरने और एक फुलफिलिंग लाइफ (जीवन) जीने में मदद की। कागनिटिव-बेहैविरियल थेरेपी के माध्यम से हमने सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के लिए ट्रिगर को पहचाना और फिर इस इच्छा को कम करने और हानिकारक पैटर्न को स्वस्थ आदतों से बदलने के लिए मुकाबला करने की रणनीति विकसित की।”
मन:स्थली के इलाज की सफलता बच्चों में सोशल मीडिया की लत को ठीक करने में प्रारंभिक हस्तक्षेप और व्यापक सपोर्ट सिस्टम के महत्व के लिए एक सबूत के तौर पर कार्य करती है। जागरूकता को बढ़ावा देकर, संसाधन उपलब्ध कराकर और सकारात्मक कोपिंग मेकेनिज्म को बढ़ावा देकर, मनसथली का लक्ष्य युवाओं को डिजिटल लैंडस्केप को जिम्मेदारी से नेविगेट करने और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए सशक्त बनाना है।
डॉ कपूर ने आगे कहा, “जिस बच्चे की हमने मदद की उसकी प्रगति देखकर हमें बेहद गर्व है। उसका ठीक होना हमारे लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करता है और सोशल मीडिया की लत से जूझ रहे युवाओं के जीवन में सार्थक बदलाव लाने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत बनाता है।”
मन:स्थली बच्चों के बीच सोशल मीडिया की लत के समाधान के लिए ज्यादा जागरूकता और संसाधनों की वकालत करना जारी रखे हुए है। माता-पिता, शिक्षकों और समुदायों के साथ मिलकर काम करके मनस्थली भविष्य के लिए एक ऐसे युवाओं का पूल तैयार करने के मिशन में लगी हुई है जो सशक्त हो और जिनका मानसिक स्वास्थ्य सबसे अच्छा हो।


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