नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में फंसने के बाद वे अपना आपा खो बैठे हैं।
एक साक्षात्कार में उन्होंने केजरीवाल के सीएए पर की गई टिप्पणियों पर पलटवार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीएए 2014 के पहले आ चुके शरणार्थियों के लिए बनाया गया है। गृहमंत्री की टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आज आप 2014 से पहले की बात कर रहे हैं, कल 2019 से पहले वालों की बात करेंगे, फिर 2024 तक की बात करेंगे।
गृह मंत्री ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना भ्रष्टाचार उजागर होने से आपा खो बैठे हैं। उन्हें इतनी चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? दिल्ली का चुनाव उनके लिए लोहे के चने चबाने जैसा है, इसलिए वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीएए के तहत नागरिकता पाने वाले शरणार्थी पहले से ही भारत में रह रहे हैं। एनआरसी का सीएए से कोई संबंध नहीं है। सीएए को पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाएगा। देश में केवल दो क्षेत्र जो सीएए के दायरे में नहीं होंगे, वे हैं आईएलपी (इनर लाइन परमिट) क्षेत्र और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र।
गृह मंत्री की टिप्पणी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर बयान जारी कर अपनी वही बात दोहरायी है। उन्होंने कहा कि सीएए आने से आजादी से ज्यादा बड़ा माइग्रेशन होगा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में 2.5 से 3 करोड़ अल्पसंख्यक हैं। वहाँ बहुत गरीबी है, उनके पास रोजगार नहीं है। इनमें से आधे भी भारत में आ गए तो कहाँ बसाएँगे उनको?
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री कह रहे हैं कि 2014 से पहले आने वालों को बसाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी तक घुसपैठ चल रही है। पहले उनमें डर था अब घुसपैठियों को कानूनी कर रहे हैं। आज आप 2014 से पहले की बात कर रहे हैं, कल 2019 से पहले वालों की बात करेंगे, फिर 2024 तक की बात करेंगे। घुसपैठिए तो आ ही रहे हैं। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि रोहिंग्या मोदी सरकार के दौरान आए हैं।