ऋतुओं का राजा कहे जानेवाले वसंत की खासियत है कि यह दो मौसमों के बीच का पुल है। सर्दी जा चुकी होती है और गर्मी आने को होती है। हवा में हल्की ठंड और खिलखिलाती धूप के बीच पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, पहाड़-झरने सभी नये मौसम में अंगड़ाई ले रहे होते हैं। कोयल की कूक और भंवरे का गुंजन वातावरण को संगीतमय बना देता है। बागों में खिले रंग-बिरंगे फूल प्रकृति को दुल्हन की तरह सजाने का कार्य बखूबी करते हैं। ‘ऋतुराज वसंत-के बारे में ऐसी ही रोचक जानकारियां दे रही हैं शिक्षिका व पर्यावरणविद् निभा सिन्हा
बच्चों अब ठंड कुछ कम हो चली है और स्कूल के लिए सुबह उठने में परेशानी भी कम होती है जानते हो क्यों? क्योंकि ऋतुराज वसंत का आगमन हो गया है। हिंदी के फाल्गुन और चैत्र दोनों महीने वसंत ऋतु के कहलाते हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम महीना होता है और चैत्र से नये साल की शुरूआत होती है। अंगरेजी माह की बरत करें तो वसंत सामान्यतः फरवरी और मार्च में आता है। वातावरण का तापमान भी सबसे ज्यादा इसी मौसम में सुहाना होता है। मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति सभी इस मौसम का लुत्फ उठाने से नहीं चूकते।
क्यों कहलाये ऋतुओं का राजा:- भारत में छह ऋतुएं पायी जाती हैं-वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, ग्रीष्म और ऋतुराज वसंत। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं और अपनी-अपनी सुंदरता भी। जहां ग्रीष्म ऋतु ताप (गर्मी) बिखेरती है, वहीं वर्षा ऋतु गरमी से तप्त हुई धरा और प्राणियों को अपने शीतल जल से राहत पहुंचाती है। शरद और शिशिर अपनी सर्द हवाओं से सबको सिमटने पर मजबूर कर देते हैं।
इसके बाद आता है, हेमंत ऋतु जिसमें पेड़-पौधों के सारे पत्ते झड़ कर पतझड़ का मौसम ला देते हैं। प्रकृति फिर अपना रंग बदलने लगती है, इस मौसम में धीरे-धीरे उन ठूंठ पड़ी डालियों में नवीन कोंपले आनी शुरु होने लगती हैं, फूल खिलने लगते हैं जिन पर मंडराती हुयी तितलियां बहुत लुभावनी दिखती हैं। इससे हमारा मन स्वतः ही सुखद एहसास से भर उठता है। वसंत को ऋतुराज कहा जाता है मतलब कि सर्वश्रेष्ठ मौसम क्योंकि इस समय पंच तत्व- जल, अग्नि, वायु, धरती और आकाश (जिससे प्रकृति का निर्माण होता है) सभी की सुंदरता अपनी चरम पर होती है। आकाश सामान्यतः साफ होता है। वायु में मौजूद फूलों की भीनी-भीनी खुशबू एक अलग ही सुहाना अहसास दिलाती है। अग्नि अर्थात सूर्य का ताप भी सहनीय होता है। सूर्य के ताप से बर्फधीरे-धीरे पिघलने लगता है जिससे नदियों और समुद्र पानी से भरे होते हैं। धरतीवासियों के लिए वसंत स्वर्ग से कम नहीं होता।
फूलों से भरा वसंत:- वसंत का मौसम फूलों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसी मौसम में फूलों की सबसे ज्यादा प्रजातियां खिलती और महकती हैं। यहां तक कि आम और लीची में मंजर(फूल) भी इसी महीने में लगते हैं। आम के पत्तों के झुरमुट से कोयल की कूक आप ही वातावरण को संगीतमय बना देती है। बाग रंग-बिरंगे फूलों के खिलने से दुल्हन सी सज जाती हैं। वसंत के मौसम में मुख्यतः गुलाब, डाहलिया, ट्यूलिप, आर्किड, कॉसमोस, लिली, जैस्मिन, जिनिया, गेंदा, ऑस्टर्स आदि खिलते हैं। फूलों का रंग और खुशबू न सिर्फ इंसानों को आकर्षित करता है बल्कि भंवरें, तितलियों और मधुमक्खियों को भी अपना दिवाना बना देता है। फूलों का रस ही इनका प्रमुख भोजन होता है जिसे ये अन्य ऋतुओं के लिए संजो कर भी रखते हैं। भंवरों के संजोये भोजन का प्रयोग हम भी मधु के रूप में करते हैं। यह मध या मधु काफी गुणकारी और स्वादिष्ट होता है।
वसंत में लहलहाते खेत:- वसंत के मौसम में सरसों के पीले फूल, गेहूं, चने आदि फसलों से खेत लहलहा उठते हैं। कहीं टेसू के लाल और नारंगी फूल, तो कहीं नींबू के पेड़ों पर सफेद फूल खिल रहे होते हैं। ऐसा लगता है, जैसे धरती ने रंग-बिरंगे वस्त्र पहन लिए हों। प्रकृति की यह सुंदरता और बदलाव शहर की अपेक्षा गांवों में ज्यादा महसूस की जा सकती है। वास्तव में वसन्त का उत्सव प्रकृति का उत्सव होता है।
त्योहारों का मौसम:- वसंत पंचमी, वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है। बिहार, बंगाल सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन विद्या, बुद्धि और सुर की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ। इसे विद्यार्थियों का त्योहार माना जाता है। लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं तथा इस उत्सव को धूमधाम से मनाते हैं। इसके अलावा शिवरात्रि और होली तथा पारिसयों का नवरोज भी इसी मौसम में मनाया जाता है।