आज अभिभावकों की प्राथमिकताओं तथा शिक्षा के बदलते आयामों के अलावा बहुत कुछ ऐसा है जो बच्चों की एकाग्रता में बाधक है। ऐसे में घर में ऐसा माहौल बनाना बेहद जरूरी है कि वे ध्यान लगाकर पढ़ सकें। यह एक गंभीर मसला है और माता-पिता का विशेष ध्यान मांगता है। अमृता प्रकाश की एक सलाह। काम में उलझे पिता और किटी पार्टी में व्यस्त मां की प्राथमिकता अब बच्चे की पढ़ाई से अधिक उनका खुद का मनोरंजन बन चुका है। इसीलिए अब घरों में पढ़ाई का माहौल बना कर रख पाना इन आधुनिक अभिभावकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। वैसे अभिभावकों की बदलती प्राथमिकताओं के अलावा शिक्षा के बदलते आयाम और बच्चों की बिगड़ी दिनचर्या भी काफी हद तक घरों में शिक्षा का माहौल न बना पाने में दोषी है।
अच्छा माहौल बन सकता है
बढ़ती महंगाई और बेलगाम होते खर्चों ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। ऐसे में जहां वह हर चीज में कटौती कर रहा है, वहीं उसके रहने के स्थान में भी कटौती साफ नजर आ रही है। इस कटौती का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है क्योंकि एक कमरे में ही मनोरंजन के लिए टीवी भी होता है और मेहमानों का आना-जाना भी। कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो बच्चे की पढ़ाई के लिए एक अच्छा माहौल बनाया जा सकता है। आपका घर यदि 1 या 2 कमरे का है तो आपको सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने बच्चे की पढ़ाई का समय निर्धारित करें। पढ़ाई के लिए वह समय चुनें जब आपके पति ऑफिस गए हों। इस समय बच्चे को एकांत मिलेगा और बच्चा एकाग्रता के साथ पढ़ सकेगा।
बच्चों की पढ़ाई में सबसे अधिक विघ्न तब पड़ता है जब कोई मेहमान घर आ जाए। और जब घर छोटा हो तो इस वक्त मेहमान का आना आपको अखर भी सकता है। बेहतर है कि अपने बच्चे की पढ़ाई के वक्त आप किसी भी मेहमान को न्योता न दें और अगर मेहमान आ जाएं तो उनके जाने के बाद बच्चे की अधूरी पढ़ाई को पूरा करें। किसी भी प्रकार के काम से घर के बाहर जाना हो तो कोशिश करें कि बच्चे के स्कूल से घर आने के पहले ही आप बाहर के काम निपटा लें या फिर बच्चे की पढ़ाई खत्म होने के बाद आप वह काम करने जाएं। बच्चे की पढ़ाई का वक्त हो रहा हो तो आप भी उसके साथ कोई अच्छी पुस्तक पढ़ें या फिर समाचारपत्र या पत्रिकाएं पढ़ें। इससे बच्चे का पढ़ाई में और भी अधिक मन लगेगा।
निःसंदेह घर का कामकाज निपटाते-निपटाते आप थक जाती होंगी, लेकिन जब बच्चा पढ़ रहा हो तो कतई न सोएं। आपके ऐसा करने से उस में आलस्य आएगा। कोई प्रलोभन देकर बच्चे को पढ़ने को न बैठाएं। ऐसा करने से बच्चा पढ़ाई के दौरान दिए गए प्रलोभन के बारे में ही सोचता रहता है। आप किटी पार्टी की शौकीन हैं तो अपने शौक से आपको समझौता करने की जरूरत नहीं लेकिन जिस वक्त बच्चे का पढ़ने का समय हो, उस वक्त घर में किसी भी प्रकार का आयोजन न करें। बच्चा जिस कमरे में बैठ कर पढ़ रहा हो, उस कमरे में किसी को भी न जाने दें। हां, आप जरूर 1-2 बार बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वहां जाएं।
-बच्चे के पढ़ने का समय हो रहा हो तो आप उसे ऐसी कोई भी चीज न खिलाएं जिससे उसे सुस्ती आए।
-बच्चे के कमरे में पानी की एक बोतल जरूर रखें ताकि जब उसे प्यास लगे तो उसे किचन तक न आना पड़े।
-बच्चे को पढ़ाई करने के दौरान हर 45 मिनट के बाद 15 मिनट का रेस्ट दें। इस दौरान उससे इधर-उधर की बातों की जगह सिर्फ पढ़ाई की ही बातें करें ताकि उसका फोकस न बिगड़े।
-बच्चों को यदि वीकेंड पर बाहर घुमाने ले जाते हैं तो कोशिश करें कि उन्हें खासतौर से एजुकेशन पर डिजाइन किए गए सैंटर्स पर ले जाएं। वहां उन्हें क्विज खेलने और अपना एप्टीट्यूड टैस्ट करने का मौका मिलेगा।
ऐसा न करें: कई बार माता-पिता बच्चों की पढ़ाई को लेकर ओवर कौन्शस हो जाते हैं। यह व्यवहार ठीक नहीं। इससे आपके बर्ताव पर असर पड़ता है। आप अपनी और अपने बच्चे की भावनाओं को दुख पहुंचाते हैं और कुछ भी नहीं। सो, इन बातों का ध्यान रखें:
-बच्चे के साथ जबरदस्ती न करें। पढ़ाई के मामले में तो बिल्कुल भी नहीं। जिस वक्त वह खेलने के मूड में है, उसे खेलने दें।
-बच्चे के स्कूल से आते ही उससे क्लास और टीचर की बातें न करें। उसे खाना खिलाएं, टीवी देखने दें और यदि वह सोना चाहे तो उसे सुला भी दें।
-कई माता-पिता बच्चों को आउटडोर गेम्स नहीं खेलने देते। उन्हें डर रहता है कि दूसरे बच्चे उसे गंदी हरकत करना सिखा देंगे या फिर उसे चोट पहुंचा देंगे। ऐसे बच्चे जो सिर्फ घर में ही खेलते हैं, उनका आईक्यू लैवल कम होता है। बच्चों को घर से बाहर खेलने जरूर भेजें। हो सके तो आप खुद भी उनके साथ जाएं।
-आजकल के माता-पिता बच्चों को मूवी दिखाने ले जाते हैं लेकिन कभी प्रदर्शनी या फिर बुकफेयर नहीं ले जाते। यहां ले जाना उन्हें समय और पैसे की बर्बादी लगता है। जबकि यह गलत है। बच्चों को बुकफेयर और दूसरी प्रदर्शनियों में जरूर ले जाएं। यहां पहुंच कर बच्चों को बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा। हो सकता है कि वे आप से कुछ सवाल भी करें।
-बच्चे यदि आपसे इंटरनेट पर बैठने की जिद करें तो उन्हें मना न करें बल्कि उन्हें इंटरनेट पर सर्च करने का सही तरीका समझाएं।