संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में यूक्रेन पर जब एक गैर-
बाध्यकारी संकल्प प्रस्ताव को पारित किया जा रहा था तब भारत महात्मा गांधी के शांति और
संरक्षकता (ट्रस्टीशिप) के संदेश पर यहां संयुक्त राष्ट्र में एक विशेष कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा
था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने ‘यूनिवर्सिटी फॉर पीस’ के साथ साझेदारी में बृहस्पतिवार
को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘गांधीवादी ट्रस्टीशिप: मिशन लाइफ एंड ह्यूमन फ्लोरिशिंग’ पर एक
उच्च स्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में गांधी के ‘ट्रस्टीशिप’ के सिद्धांत और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता पर
प्रकाश डाला गया और मिशन लाइफस्टाइल (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) और मानव उत्कर्ष की
अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि टिकाऊ जीवन शैली और स्थायी शांति को बढ़ावा दिया
जा सके।
‘ट्रस्टीशिप’ महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित एक सामाजिक-आर्थिक दर्शन है। इस अवधारणा के तहत
एक व्यक्ति स्वेच्छा से अपने अर्जित धन पर अपना अधिकार छोड़ देता है या उसका त्याग कर देता
है और इसे समाज के गरीब वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित करता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने पैनल चर्चा में कहा, ‘‘आज की
घटना बहुत अनोखी है। जो बात मुझे बेहद प्रभावी लगती है कि वह यह है कि हम शांति, अहिंसा के
बारे में बात कर रहे हैं, जबकि महासभा में… यूक्रेन में संकट पर मतदान हो रहा है।’’
‘यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर
के सिद्धांत’ शीर्षक से यूक्रेन एवं समर्थक देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश एक गैर-
बाध्यकारी प्रस्ताव अपनाया गया।
प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में सात वोट मिले। इस प्रस्ताव में ‘‘व्यापक, न्यायपूर्ण और
स्थायी शांति’’ तक पहुंचने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। हालांकि भारत इस प्रस्ताव पर
मतदान से दूर रहा।
मानव उत्कर्ष के संदर्भ में कम्बोज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं
कि दुनिया एक विशाल परस्पर जुड़ा हुआ परिवार है और ‘‘उनका मॉडल आत्म-केंद्रित मॉडलके बजाय
वैश्विक विकास के मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में से एक है।’’
उन्होंने महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को कोविड-19 रोधी टीके भेजने के भारत के कदम
का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘क्या मैं आप सभी को याद दिला सकती हूं कि हमने इस क्षण (संकट)
का व्यावसायीकरण नहीं किया।’’
कंबोज ने कहा कि भारत हमेशा ‘‘पहले उत्तरदाता’’ के रूप में रहा है और तुर्की और सीरिया में हाल के
विनाशकारी भूकंपों के दौरान भारत 24 घंटे के भीतर आपातकालीन राहत सामग्री और सहायता भेजने
वाले पहले देशों में से एक था। इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र के
अधिकारियों, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पैनल चर्चा का
आयोजन संयुक्त राष्ट्र में ‘इंडिया राउंडटेबल्स’ के एक भाग के रूप में किया गया था।