मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछा
कि उसने पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना के मामले में मुख्य आरोपियों को कभी गिरफ्तार क्यों नहीं
किया।
ईडी ने इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत को दी गयी जमानत को निरस्त करने की मांग
की है।
मामले में संजय राउत और सह-आरोपी प्रवीण राउत को एक विशेष अदालत ने धन शोधन के मामलों
में 9 नवंबर, 2022 को जमानत दे दी थी। उन्हें गिरफ्तारी के सौ दिन से अधिक समय बाद जमानत
दी गयी थी।
ईडी ने उसी दिन जमानत के खिलाफ अदालत का रुख करते हुए इस पर अंतरिम रोक की मांग की
थी, लेकिन अदालत ने कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एन आर बोरकर ने शनिवार को ईडी की याचिका पर विशेष सुनवाई की।
न्यायाधीश ने पूछा कि एजेंसी ने मुख्य आरोपी और हाउसिंग डवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
(एचडीआईएल) के प्रवर्तकों सारंग तथा राकेश वधावन को गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने दलील दी कि विशेष अदालत ने
जमानत देते हुए अप्रासंगिक सामग्री पर विचार किया।
उन्होंने कहा कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) धनशोधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए
लागू किया गया था।
सिंह ने कहा, ‘‘यह (धन शोधन) हत्या के आरोप से भी गंभीर है और इसमें इस कृत्य को अंजाम देने
वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है।’’
सिंह जब सारंग और राकेश वधावन के खिलाफ आरोप पढ़ रहे थे तो अदालत ने पूछा कि क्या ईडी
ने मौजूदा मामले में दोनों को गिरफ्तार किया था।
सिंह ने कहा कि एजेंसी ने ऐसा नहीं किया था क्योंकि वे एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में
थे, लेकिन ईडी ने उनके बयान दर्ज किये थे।
अदालत ने कहा, ‘‘वे मुख्य आरोपी हैं। उनके खिलाफ धनशोधन के आरोप हैं। अगर उन्हें अनुसूचित
अपराध में जमानत पर छोड़ा जाता है तो क्या होगा?’’
पीठ ने सिंह से उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के पहले के ऐसे फैसले दिखाने को भी कहा
जिनमें इस आधार पर जमानत निरस्त कर दी गयी कि निचली अदालत का आदेश प्रतिकूल था।
सुनवाई दो मार्च को भी जारी रहेगी।