बजट जी की बैठक में

asiakhabar.com | February 11, 2023 | 12:39 pm IST
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-प्रभात कुमार-
बजटजी सामान्य व्यक्तित्व के मालिक नहीं हैं। वे एक बरस में सिर्फ एक बार ही सार्वजनिक बैठक
करते हैं। उनकी सामाजिक बैठक में छोटा-मोटा बंदा या योजना आने की सोच भी नहीं सकता।
विशाल क्षेत्रफल वाले मैदान टाइप बंदे भी बहुत मुश्किल से इस बैठक में शामिल हो पाते हैं। उनकी
घोषणाएं शासक प्रिय होती हैं। अपने जलवे को हलवे के रूप में पकाकर और खास बंदों को खिलाकर,
माननीय बजटजी लोक लुभावन आंकड़ों के वस्त्र पहनकर आते हैं। बजटजी की शान बढ़ाऊ योजनाओं
का निर्माण करने वाले प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री होते हैं तो मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा करने वाले भी
प्रसिद्ध अर्थ करामाती होते हैं। दिमाग से उनकी आलोचना करने वाले समझदार अनर्थ शास्त्री होते
हैं। प्रशंसा करने वाले अर्थशास्त्री, शासक वर्ग की राजनीतिक पार्टी के अभिनेता होते हैं और आलोचक,
विरोधी विपक्षी पार्टी के चरित्र अभिनेता। बजटजी ने व्यक्ति रूप में शासक वर्ग से पूछा, कैसा लगा
हमारा कार्यक्रम, तो उन्होंने कहा बुनियादी ढांचा बहुत ऊंचा उठा दिया। इससे पर्यावरण की बोलती बंद
हो जाएगी, लेकिन समाज और राष्ट्र का विकास ज़रूरी है।
विकास होगा तो छोटा-मोटा विनाश भी होगा। ज्यादा से ज़्यादा डिजिटल हो तो नौजवान व्यस्त और
पस्त रहेंगे। ओल्ड पॉलिटिकल व्हिकल हटाना मुश्किल काम है, इनके बदले पुरानी गाडिय़ां हटा देंगे।
शासकीय राजनीति ने आकांक्षाओं और संकल्पों की नई ईंटों से बजटजी की तारीफ में खूब पुल बना
दिए। उन्होंने कहा हमारी सरकार का बजट बहुत स्वादिष्ट, सरल और आकर्षक है। हमारा नैतिक
कत्र्तव्य है कि हम इसकी भूरी ही नहीं लाल, पीली व हरी प्रशंसा करें। विपक्ष कुछ कहे तो मुंहतोड़
जवाब दें। उन्होंने बजटजी को मील का पत्थर, क्रांतिकारी, शानदार, देश और विश्व की उम्मीदें पूरी
करने वाला, समावेशी, विकासोन्मुखी व ऐतिहासिक बताया। इस बीच यह राज़ खुल गया कि ऐसा
बजट होने से कई किस्म के फायदे मिलते हैं।
वैचारिक असंतुलन बनाने के लिए विपक्ष वालों को भी न्योता गया था। उनकी बारी आने तक वे आग
बबूला हो चुके थे। उन्होंने बजट को अच्छा बताना ही नहीं था क्योंकि यह उनकी सरकार ने नहीं
बनाया था। उन्होंने बजटजी को गुस्से में, बजट ही कहा। निर्मम बजट, चुनावी बजट, बेरोजगारी-
महंगाई बढ़ाने वाला, दिशाहीन, जन विरोधी, अवसरवादी, पच्चीस साल बाद की बात करता बजट
बताया। जब उनसे पूछा गया कि भविष्य में चुनाव होने वाले हैं, शासक पार्टी की सरकार ने कुछ
तत्व तो स्वादिष्ट भी डाले होंगे। बजट के हलवे को शुद्ध देसी घी में बड़े गौरवशाली ढंग से पकाया
गया है। कुछ विपक्षी नेताओं ने बहुत गुस्से में कहा, बिल्कुल इस बजट में कई अच्छी बातें और
योजनाएं हैं, लेकिन हम अपनी पार्टीलाइन और मौजूदा स्थिति और अपने वर्तमान विरोध प्रकट करु
चरित्र के कारण इसकी तारीफ में एक शब्द भी नहीं बोल सकते। बोलना चाहें भी तब भी नहीं बोल

सकते। हम विपक्ष में हैं और अभी निकट महीनों में चुनाव भी नहीं हैं जो दलबदल का मौका जेब में
आने वाला हो। अगर हमारी सरकार बनेगी तो बजट पकाएगी, तब हम उसकी खूब तारीफ करेंगे। हो
सकता है हम हलवे की परम्परा को बदल कर बिरयानी पकाना शुरू कर दें। इस बीच उनकी बातों को
अनसुना कर बजटजी तारीफ करने वालों के साथ चियजऱ् करने चले गए थे। बजटजी की बैठक का
खाना वाकई स्वादिष्ट था।


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