नई दिल्ली। उत्तर-पूर्व में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी ड्रोन की
बढ़ती गतिविधियां देख भारतीय वायु सेना भी अलर्ट हो गई है। इस हफ्ते में कई बार चीन के ड्रोन्स
ने भारतीय क्षेत्र की ओर उड़ान भरने की कोशिश की है, लेकिन वायु सेना ने क्षेत्र में अपने मजबूत
राडार नेटवर्क के साथ चीन की गतिविधियों पर नजर जमा रखी है। आम तौर पर एलएसी की स्थिति
शांतिपूर्ण है लेकिन हाल के दिनों में कई ऐसे मौके आए हैं जब भारत के लड़ाकू विमानों को उड़ान
भरनी पड़ी है।
भारतीय वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस समय उत्तर-पूर्व में वास्तविक नियंत्रण
रेखा पर चीनी ड्रोन्स की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी पड़ रही है, क्योंकि एलएसी के साथ चीनी
ड्रोन ने अपनी तरफ से भारतीय क्षेत्र की ओर उड़ान भरने की कोशिश की है। वायु सेना क्षेत्र में अपने
मजबूत राडार नेटवर्क के साथ उत्तर-पूर्व में उड़ान गतिविधियों पर नजर रख रही है। कई ऐसे मौके भी
आए हैं जब भारत के लड़ाकू विमानों को उड़ान भरनी पड़ी है, क्योंकि ड्रोन या किसी भी विमान को
हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। वायु सेना को इसलिए भी अलर्ट पर
रखा गया है कि अगर चीन की तरफ से भारतीय क्षेत्र की ओर उड़ने वाले विमान या ड्रोन राडार की
पकड़ में आते हैं, तो किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की भारतीय सीमा में चीनी ड्रोन्स की घुसपैठ
रोकने के लिए असम के तेजपुर से भारत ने फाइटर जेट को स्क्रैम्बल किया है। फाइटर जेट के
स्क्रैम्बल का मतलब इन विमानों को हमले अथवा संघर्ष के लिए कुछ ही मिनटों में तैयार करना
होता है। राफेल लड़ाकू जेट को भी पश्चिम बंगाल में हाशिमारा के बहुत करीब तैनात किया गया है।
भारतीय वायु सेना ने अभी केवल असम सेक्टर में एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के साथ
अपनी वायु रक्षा कवरेज मजबूत की है। यह रूसी सिस्टम लगभग पूरे क्षेत्र में किसी भी हवाई खतरे
का ध्यान रख सकता है। पूर्वोत्तर के रणनीतिक और सामरिक महत्व को देखते हुए भारतीय वायु सेना
की असम के तेजपुर और छाबड़ा सहित कई स्थानों पर दमदार मौजूदगी है।
इस साल की शुरुआत में लद्दाख सेक्टर में चीन की ओर से भारतीय हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कई
घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद दोनों पक्ष किसी भी हवाई वृद्धि को रोकने के लिए कई उपायों पर
सहमत हुए थे। भारतीय पक्ष ने पिछली कमांडर स्तरीय सैन्य वार्ता में भी इस मुद्दे को मजबूती से
उठाया था। बैठक में निर्णय लिया गया था कि दोनों पक्षों के लड़ाकू विमान अपने-अपने क्षेत्र में
वास्तविक नियंत्रण रेखा से काफी पीछे रहेंगे। भारतीय वायु सेना ने लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में
स्थापित कई नए राडार के साथ अपनी निगरानी क्षमताओं को भी उन्नत किया है।