-सनत जैन-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के सभी राज्यों में (संघ के सभी 45 प्रांतों में) सभी वर्गों के
प्रोफेशनल्स और प्रभावी लोगों को संघ की विचारधारा से जोड़ने के लिए महा अभियान शुरू किया है।
सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य और अरुण कुमार इस काम को देख रहे हैं। संघ ने भारत के सभी राज्यों
के सभी वर्गों के शिक्षा एवं प्रोफेशनल जगत से जुड़े हुए प्राध्यापक, सभी स्कूलों के शिक्षक,
अधिवक्ता, आईटी विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, सेवानिवृत्त राज्य अधिकारी, चिकित्सकों,
खिलाड़ियों, किसानों और हर युवा वर्ग को जोड़ने के लिए रोजगार टोली, नवाचार टोली, पत्रकारिता
जगत से जुड़े हुए सभी पत्रकार, साहित्यकार, सोशल मीडिया से जुड़े प्रबुद्धजनो को जोड़ने के लिए,
उसी समूह में काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों को
जिम्मेदारी दी है।
संघ ने इस अभियान के लिए देश के 11 क्षेत्रों के 45 प्रांतों के पदाधिकारियों के बीच में बांटा है।
उपरोक्त वर्ग के सभी प्रतिष्ठित लोगों को यहां तक कि सभी समाज के साधु-संतों को भी संघ की
विचारधारा और कार्यों से जोड़ने के लिए सबसे मिलने और उन्हें बैठकों में लाने का अभियान शुरू
किया है। संघ का मानना है, कि सभी वर्गों को जोड़ने के लिए कम से कम सप्ताह में अथवा माह में
एक बार इस तरह की संगोष्ठी आयोजित की जाए। जिसमें सभी वर्गों के लोग खुलकर भाग लें। संघ
के प्रशिक्षित प्रचारक और स्वयंसेवक उस वर्ग की समस्याओं पर चर्चा करें। उन्हें संघ की विचारधारा
से अवगत कराएं। साप्ताहिक या मासिक बैठक में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। ताकि संघ की
विचारधारा का फैलाव सारे देश में एक समान हो सके। लोगों में सरकारों के प्रति जो गुस्सा है। वह
भी कम हो सके। इसके लिए उनकी समस्याओं पर चर्चा करना जरूरी हो गया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले साल 5 राज्य जिसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान
इत्यादि राज्य शामिल हैं। सबसे पहले इन राज्यों को इस महा अभियान में शामिल किया गया है।
अगले 6 माह में देश के सभी राज्यों में, 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस
महाअभियान को संचालित करने की जिम्मेदारी प्रचार को और स्वयंसेवकों को सौंपी गई है।
संघ ने सप्ताह पखवाड़े और महीने के आधार पर इस तरह की बैठकें करने उसका प्रचार-प्रसार करने
के लिए पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है। इस महाअभियान की सबसे बड़ी खासियत यह है
कि सभी वर्गों के बीच में उनकी जो मूल समस्याएं हैं, जो उनकी चिंताएं हैं, उसी को आधार बनाकर
उन पर सहानुभूति प्रदर्शित करें। उन समस्याओं को जल्द कैसे दूर किया जा सकता है, इस पर चर्चा
करें। बैठक में आए लोगों को भावात्मक रूप से संघ की विचारधारा और संघ के कैडर से जोड़ने का
प्रयास करें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 84 से ज्यादा अनुवांशिक संगठन हैं। जो अलग-अलग क्षेत्रों में कई वर्षों से
काम कर रहे हैं। उन्हें ही यह जिम्मेदारी दी गई है, कि वह वर्ग के आधार पर, रोजगार के आधार
पर, काम-धंधे के आधार पर, किसानों की समस्याओं के आधार पर, श्रमिकों के उत्थान को लेकर,
शिक्षा और धर्म को लेकर जो कार्य पहले से कर रहे थे, उसका विस्तारीकरण आम आदमी तक करें।
ताकि संघ की विचारधारा से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जा सके। इसके लिए व्यापक स्तर पर
संघ ने योजना तैयार की है। अगले साल के पांच राज्यों के चुनाव और 2024 का लोकसभा चुनाव
भाजपा के लिए जीतना संघ के लिए भी अति आवश्यक है। संघ की हिंदू राष्ट्र की जो परिकल्पना है।
उसके लिए भाजपा का चुनाव जीतना संघ के लिए भी अति आवश्यक है।
संघ सूत्रों के अनुसार यह सारी कवायद 2024 के लोकसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में की जा रही है।
पिछले कुछ महीनों में जिस तरीके से केंद्रीय नेतृत्व और राज्य सरकारों के कामकाज, महंगाई,
बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और सामाजिक मुद्दों को लेकर जो नाराजी लोगों में बनी है। उसको दूर
करने की जवाबदारी पदाधिकारियों को दी गई है। पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को हर हालत में
समयबद्ध तरीके से संघ की विचारधारा से जोड़ने और अधिक से अधिक विस्तार करने का दायित्व
सौंपा गया है। क्योंकि यही लोग अपने विशेष वर्ग के मतदाताओं को मतदान से जोड़ेंगे। संघ और
सरकार के केंद्रीय नेतृत्व के बीच में जो मनमुटाव की खबरें आ रही थी। उसके बाद संघ ने कमान
अपने हाथ में लेने के लिए भी यह महा अभियान शुरू किया है। संघ सरकार पर अपनी निर्भरता कम
करेगा। संघ के सभी अनुवांशिक संगठन और संघ के पदाधिकारियों को ज्यादा सशक्त बनाने की
पहल इस अभियान के तहत होगी। संघ जिस तरह से अपनी बैठकों में मनोवैज्ञानिक रूप से तथ्यों के
आधार पर, मानसिक रूप से लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करता है। देश का कोई भी
राजनीतिक दल अथवा सामाजिक संगठन ऐसा नहीं करता है। जिसके कारण संघ को अपनी
विचारधारा फैलाने के लिए खुला मैदान मिलता है। यह स्थिति विपक्षी दलों के लिए सबसे ज्यादा
चिंताजनक है। अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों के पास मतदाताओं को मनोवैज्ञानिक एवं धार्मिक,
समूह से जोड़े रखने का ऐसा कोई प्रयास नहीं होता है। जैसा भाजपा के लिए संघ करता है। ऐसी
स्थिति में भाजपा और संघ की स्थिति दिनोंदिन मजबूत होती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में
आर्थिक रूप से संघ बहुत सक्षम संगठन बन गया है। जिसके कारण उसका प्रभाव भी बड़ी तेजी के
साथ बढ़ रहा है।