शिमला, मनाली और कसौली जैसे लोकप्रिय हिल स्टेशन गतिविधियों से भरे हो सकते हैं, लेकिन
लैंसडाउन के आकर्षण से किसी की तुलना नहीं की जा सकती। इस कैंटोनमेंट से जाने के बाद भी यह
हमारे मन में बसा रह जाता है। लैंसडाउन का इतिहास 1880 के दशक का है जब प्रभु लैंसडाउन यहां
पहुंचे। यह शहर गढ़वाल राइफल्स के सैन्य रेजिमेंट द्वारा संरक्षित था। इसकी प्राचीनता और शांतिपूर्ण
माहौल बनाए रखने के लिए उन्हें श्रेय दिया जा सकता है। यहां की स्वच्छता इस हिल स्टेशन को अन्य
हिल स्टेशनों से अलग करती है।
यहां आपको रंगीन यादगार वस्तुओं की छोटी-छोटी दुकानें और आरामदायक कैफे मिलेंगे। इसके अलावा
आप यहां चर्च ऑफ सेंट मैरी और भुल्ला ताल का भी आनंद ले सकते हैं। लैंसडाउन की एक बड़ी
विशेषता यहां के ट्रेवलर्स के लिए यहां का सौहार्दपूर्ण आतिथ्य सत्कार है। यहां के लोग आपके प्रति इतना
स्नेह दिखाएंगे कि आपको लगेगा ही नहीं की आप बाहर से आए हैं।
कैसे पहुंचना है:- अच्छा रहेगा कि आप दिल्ली से मेरठ की ओर जाएं और फिर लैंसडाउन के लिए छभ्
119 की राह पकड़ें। यहां से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार है जहां से आप हिलस्टेशन के लिए
टैक्सी ले सकते हैं।