कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पिछले 1 हफ्ते से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जबरदस्त
कवरेज कर रहा है। बड़ी तेजी के साथ राजनीतिक घटना चक्र बदल रहा है। पहली बार कांग्रेस के
साथ-साथ भाजपा, कांग्रेस, देश का मीडिया, अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर उत्सुकता जाहिर कर रहा
है। रात दिन मीडिया में अटकलों और कयासों के कारण अध्यक्ष पद का चुनाव मीडिया की सुर्खियों
में बना हुआ है। इससे आम आदमी की उत्सुकता कांग्रेस को लेकर बढ़ गई है।
भाजपा ने सुनियोजित रणनीति के तहत गांधी परिवार को घेरने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष
पद के चुनाव को निशाने पर लिया था। लेकिन भाजपा के इस निशाने का उल्टा वार खुद भाजपा पर
हो गया है। पिछले 1 सप्ताह में गांधी परिवार के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव को
नहीं लड़ने, और उसके बाद अशोक गहलोत, शशि थरूर,मलिकार्जुन खडगे, दिग्विजय सिंह, पवन
बंसल को कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हो जाने, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई
खींचतान, सचिन पायलट,अशोक गहलोत, अजय माकन की सक्रियता, कांग्रेस हाईकमान की नहीं सुनी
गई, बगावत जेसी कवरेज से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कांग्रेस को निशाने पर लिया था। पिछले 1
सप्ताह से मीडिया का पूरा आकर्षण कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव बना हुआ है। इसका
फायदा कांग्रेस को जाने-अनजाने में हो गया है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो कांग्रेस और राहुल गांधी को कवर नहीं करता था। पिछले 1 सप्ताह से राहुल
गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस का जिस तरह कवरेज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हो रहा है।उससे
कांग्रेस की ताकत सारे देश में बढ़ी है। भाजपा ने कांग्रेस की आपदा में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव
और राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर जो अवसर अपने लिये देखा था। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस
तरीके से कांग्रेस को निशाने पर ले रहा था। जिस पर भाजपा की पूरी रणनीति टिकी हुई है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की रस्साकशी को लेकर
बहुत बड़े परिवर्तन और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस नेताओं के बागी हो जाने की जो
आशा भाजपा को थी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उसी की तलाश में कांग्रेस नेताओं के इर्द गिर्द रखकर
आग में घी डालने का काम किया। काल्पनिक संभावनाओं को लेकर जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक चैनल
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव और राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर तनातनी को रोचक बना रहे थे।
सही मायने में उससे कांग्रेस को एक नई ऊर्जा मिली है। पिछले 1 सप्ताह से जिस तरह से
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हर जगह कांग्रेस ही कांग्रेस दिख रही है। उससे ऐसा लगता है कि नकारात्मक
पब्लिसिटी होते हुए भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कांग्रेस को ताकतवर बना दिया है।
भाजपा का मुकाबला अभी भी कांग्रेस से है। जनता को यह विश्वास भी होने लगा है। गांधी परिवार
पर कांग्रेस नेताओं का विश्वास बना हुआ है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि पिछले 1 सप्ताह
से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया राजस्थान में मुख्यमंत्री एवं दिल्ली में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान करा
रहा है। उसके बीच गांधी परिवार के (शहजादे)भाजपा के पप्पू कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी
अपनी भारत जोड़ो यात्रा उसी मनोयोग से कर रहे हैं, जैसे उनके ऊपर इसका कोई असर नहीं पड रहा
है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस में नेताओं के बीच
एकजुटता बढ़ाई है। यह स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस
के मजबूत होने,और 2024 के मुकाबले के लिए गांधी परिवार को स्वीकार कर लिया है। यही कारण
है कि कांग्रेस हाईकमान के आसपास जी 23 के नेता भी अध्यक्ष पद के चुनाव और लोकतांत्रिक
प्रक्रिया को लेकर आश्वस्त हो चले हैं।