रूस ने ‘‘संवेदनशील’’ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे जापानी राजनयिक को हिरासत में

asiakhabar.com | September 27, 2022 | 4:43 pm IST
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मॉस्को। रूस ने अपने पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में पदस्थ एक जापानी
राजनयिक को ‘‘संवेदनशील’’ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश के आरोप में हिरासत में लिया है।
रूसी समाचार एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
वहीं, जापान ने जासूसी के आरोपों में जापानी वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी को हिरासत में लेने
के आरोपों को खारिज करते हुए रूसी अधिकारियों पर ‘‘अपमानजनक’’ तरीके से पूछताछ करने का
आरोप लगाया और रूस से मामले में माफी की मांग की।
रूस की एजेंसियों ने ‘एफएसबी’ के हवाले से एक खबर में कहा था, ‘‘ पैसे लेकर संवेदनशील
जानकारी लेते हुए जापान के एक राजनयिक को रंगे हाथों पकड़ा गया है। वह रूस के बारे में ऐसी
जानकारी हासिल कर रहा था, जिसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में किसी अन्य देश के साथ साझा करने पर
रोक है।’’
समाचार एजेंसियों के अनुसार, रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) ने आरोप लगाया कि
व्लादिवोस्तोक में पदस्थ वाणिज्य दूत मोतोकी तत्सुनोरी ने ‘‘पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव’’ से जुड़ी
जानकारी भी हासिल करने की कोशिश की।
वहीं, जापान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि एक अधिकारी को 22 सितंबर को हिरासत में लिया गया
था और उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर पूछताछ की गई थी, उनके साथ बदसलूकी की गई और हम
इसका विरोध करते हुए माफी की मांग करते हैं।
रूस के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को मॉस्को में जापान के दूतावास को सूचना दी थी कि अधिकारी
को ‘‘अवांछित व्यक्ति’’ घोषित किया गया है और गरैकानूनी जासूसी गतिविधियों में लिप्त होने के
चलते उसे 48 घंटे में देश छोड़ने को कहा गया है।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाज़ु मात्सुनो ने पत्रकारों से कहा कि रूस द्वारा की गई
कार्रवाई पूरी तरह से आधारहीन है।
मात्सुनो ने बताया कि जापान के उप विदेश मंत्री ताकियो मोरी ने रूसी राजदूत को तलब कर इस
घटना पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने रूस की सरकार से घटना पर औपचारिक माफी और
ऐसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए कदम उठाने की मांग की है।
गौरतलब है कि रूस के 24 फरवरी को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू करने के खिलाफ जापान के रूप
पर प्रतिबंध लगाने के बाद से उसने कई बार जापान को एक ‘‘शत्रु’’ देश बताया है। अमेरिका, यूरोपीय
संघ के देशों और उनके पश्चिमी सहयोगियों को भी रूस यही कहता है।

‘सिख ऑफ अमेरिका’ ने मोदी से 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद सिखों की रिहाई का
अनुरोध किया
वाशिंगटन, 27 सितंबर (वेब वार्ता)। ‘सिख ऑफ अमेरिका’ संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत
की जेलों में 30 साल से अधिक समय से बंद सभी सिखों की रिहाई का आग्रह किया है।
मोदी को लिखे एक पत्र में ‘सिख ऑफ अमेरिका’ ने प्रधानमंत्री से इस मामले पर एक समिति का
गठन करने और यह पता लगाने का आग्रह भी किया कि ऐसे कितने सिख जेलों में बंद हैं। उन्होंने
आरोप लगाया कि इनमें से कई सिख अदालत द्वारा दी गई सजा पूरी करने के बाद भी जेल में बंद
हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर को रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान सौंपे गए पत्र में दावा किया गया
कि ऐसे करीब 800 सिख हैं।
पत्र में आरोप लगाया गया, ‘‘अधिकतर कैदी 80 से 90 वर्ष के आयुवर्ग के हैं, जिन पर पंजाब में
कांग्रेस प्रेरित उग्रवादी माहौल के दौरान राजनीतिक अपराध करने का आरोप था। उन पर कांग्रेस
शासन के टाडा और अन्य आतंकवाद विरोधी कठोर कानून के तहत मुकदमे चलाए गए।’’
इस पत्र पर ‘सिख ऑफ अमेरिका’ के प्रमुख जसदीप सिंह और उसके अध्यक्ष कमलजीत सिंह सोनी
के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया, ‘‘हर साल अलग-अलग राजनीतिक दल वोट के लिए और जनता
को बरगलाने के लिए इस मुद्दे को उठाते हैं।’’
‘सिख ऑफ अमेरिका’ ने प्रधानमंत्री ने इस मामले की ‘‘जांच के लिए एक समिति का गठन करने’’
और विभिन्न जेलों में ऐसे ‘‘बंदी सिखों’’ की उचित संख्या का पता लगाने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कई मौकों पर सिखों और सिख गुरुओं के बलिदान को
याद किए जाने का जिक्र करते हुए ‘सिख ऑफ अमेरिका’ ने कहा, ‘‘इसी भावना को देखते हुए हम
आपसे अनुरोध करते हैं कि 30 साल से अधिक समय से जेलों में कैद इन बंदी सिखों को क्षमादान
दिया जाए।’’


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