-सिद्धार्थ शंकर-
भारतीय मूल के ऋषि सुनक तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। लेकिन जिन लिज ट्रस ने यह बाजी मारी है, उनका रुख भी भारत को लेकर बहुत गर्मजोशी भरा रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी की नवनिर्वाचित नेता और भावी प्रधानमंत्री लिज ट्रस ब्रिटेन के उन वरिष्ठ राजनेताओं में शामिल हैं, जिन्हें भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक तथा आर्थिक संबंधों को और बेहतर बनाने के लिये जाना जाता है। वह ट्रस ही थीं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहने के दौरान पिछले साल मई में बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार के लिए वृहद व्यापार साझेदारी (ईटीपी) पर मुहर लगवाई। यही ईटीपी अब चल रही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) बातचीत के लिए शुरुआती आधार के तौर पर काम कर रही है। ट्रस ने भारत की यात्राएं की हैं और वह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ डिजिटल वार्ता भी कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने देश को बड़ा, प्रमुख अवसर करार दिया था। ईटीपी पर हस्ताक्षर के बाद ट्रस ने कहा था मैं बनते व्यापार परिदृश्य में ब्रिटेन और भारत को एक बेहतरीन स्थिति में देख रही हूं। उन्होंने कहा कि हम एक व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें वित्तीय सेवाओं से लेकर कानूनी सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल और डेटा समेत वस्तुएं और कृषि तक सब कुछ शामिल हैं। हमें लगता है कि हमारे शीघ्र एक समझौता करने की प्रबल संभावना है, जहां हम दोनों ओर शुल्क घटा सकते हैं और दोनों देशों के बीच अधिक वस्तुओं का आयात-निर्यात होते देख सकते हैं। विदेश मंत्री के तौर पर अपनी पदोन्नति के बाद ट्रस ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) की कमान एनी मेरी ट्रेवेलयन को सौंप दी थी। यह उम्मीद की जा रही है कि वह (ट्रेवेलयन) अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री की अपनी भूमिका में ब्रिटेन-भारत एफटीए वार्ता पर आगे बढ़ेंगी। टोरी नेता के तौर पर निर्वाचित होने के लिए पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक के साथ अपने मुकाबले के दौरान ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) प्रवासी समूह के समक्ष कहा था कि वह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बेहद प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने भारत-ब्रिटेन एफटीए के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और उम्मीद जताई की दिवाली तक इसे पूरा करने की कोशिश की जाएगी, जो समयसीमा उनके पूर्ववर्ती बोरिस जॉनसन ने निर्धारित की थी। ट्रस ने कहा कि अगर तब तक संभव न हो सका तो निश्चित तौर पर साल के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। ट्रस ने रूस और चीन की आक्रामकता के खिलाफ अपने स्वतंत्रता के नेटवर्क लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर बार-बार सहमति जताई है। इस साल के आरंभ में विदेश नीति को लेकर एक अहम वक्तव्य में उन्होंने घोषणा की थी कि रूस और चीन साथ मिलकर काम कर रहे हैं, क्योंकि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी प्रौद्योगिकियों में मानकों को स्थापित करने का प्रयास करते हैं। संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से पश्चिमी प्रशांत महासागर और घनिष्ठ संबंधों के माध्यम से अंतरिक्ष में अपना प्रभुत्व जमाते हैं। ट्रस के अनुसार, चीन और रूस ने एक वैचारिक शून्यता की स्थिति ढूंढी है और उनकी नजर इसे भरने पर है। वे काफी उत्साहित हैं। हमने शीत युद्ध के बाद से ऐसा नहीं देखा है। स्वतंत्रता के समर्थक लोकतांत्रिक देशों के रूप में हमें इन खतरों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाटो के साथ-साथ हम ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, इंडोनेशिया और इजरायल जैसे साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं ताकि स्वतंत्रता के वैश्विक नेटवर्क का निर्माण किया जा सके।