आजाद ने पांच दशक बाद कांग्रेस को कहा अलविदा

asiakhabar.com | August 27, 2022 | 12:02 pm IST
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नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद
शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया और दावा किया कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो
चुका है’ तथा नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है।’
आजाद ने कांग्रेस से अपना रिश्ता उस वक्त तोड़ा है जब पार्टी संगठनात्मक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की तिथि निर्धारित करने के संदर्भ में कांग्रेस कार्य समिति रविवार को बैठक करने वाली
है। आजाद फिलहाल कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य थे।
उनके इस्तीफे को, पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस के लिए एक और झटका माना जा रहा है।
इससे पूर्व कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं।
कांग्रेस ने पाटी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और
दुखद’ करार देते हुए आरोप लगाया कि आजाद ने पार्टी को धोखा दिया और उनका रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के पास है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आजाद पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ‘जीएनए’ (गुलाम नबी आजाद)
का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पृष्ठ के त्यागपत्र में अपनी शिकायतों का
सिलसिलेवार उल्लेख किया। 73 वर्षीय आजाद ने कहा कि वह ‘भारी मन’ से यह कदम उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये और प्रदेश स्तर पर क्षेत्रीय दलों
के लिये स्थान खाली कर दिया।
आजाद ने आरोप लगाया, ‘‘यह सब इसलिये हुआ क्योंकि बीते आठ वर्षो में नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी पर
थोपने का प्रयास किया जो गंभीर नहीं था।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि दरबारियों के संरक्षण में कांग्रेस को चलाया जा रहा है तथा पार्टी देश के वास्ते सही चीजों
के लिये संघर्ष करने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है।
पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी 23 समूह का हिस्सा रहे आजाद ने कहा, ‘‘इसलिये खेदपूर्वक और बेहद
भारी मन से मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने करीब 50 वर्षो के संबंध को समाप्त करने का फैसला
किया है। मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से त्यागपत्र देता हूं। ’’
उन्होंने पार्टी में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को ‘धोखा’ करार देते हुए कहा कि देश में कहीं भी, पार्टी में किसी भी
स्तर पर चुनाव संपन्न नहीं हुए।
आजाद ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा कि 24 अकबर रोड में बैठे एआईसीसी के चुने हुए पदाधिकारियों को
एआईसीसी का संचालन करने वाले छोटे समूह द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर
किया गया।
उन्होंने कहा कि बूथ, ब्लाक, जिला और राज्य स्तर पर कहीं भी मतदाता सूची प्रकाशित नहीं की गई। उन्होंने कहा
कि पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर धोखे के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है।
आजाद ने कहा कि क्या भारत की आजादी के 75वें वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिये यह उपयुक्त है, यह
सवाल एआईसीसी नेतृत्व को खुद से पूछना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी।
आजाद ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस में स्थिति इस स्तर पर पहुंच गई है कि वापसी का रास्ता नहीं दिख रहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द
कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया।
आजाद ने दावा किया, ‘‘दुर्भाग्यवश कांग्रेस में हालात उस स्थिति तक पहुंच गए हैं जहां ‘प्रतिनिधियों’ को तैयार
किया जा रहा है ताकि वे पार्टी का नेतृत्व संभालें। यह प्रयोग विफल होने वाला है क्योंकि कांग्रेस समग्र रूप से नष्ट
हो गई है और अब इस स्थिति को बदला नहीं जा सकता। किसी एक को चुनना कठपुतली बैठाने से ज्यादा कुछ
नहीं होगा।’’
उनके अनुसार, आज जो मंडली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को चला रही है उसके निर्देशों पर जम्मू में ‘मेरा
दिखावटी जनाजा निकाल दिया गया था।’
उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने यह अनुशासनहीनता की, उनका दिल्ली में कांग्रेस के महासचिवों और राहुल गांधी
द्वारा निजी तौर पर स्वागत किया गया।’’

आजाद ने त्यागपत्र में लिखा कि 2014 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में हार और राहुल गांधी के नेतृत्व में 2019 के
लोकसभा चुनाव में अपमानजनक पराजय मिली तथा 2014-2022 के बीच कांग्रेस को कुल 49 विधानसभा चुनावों
में से 39 चुनावों में हार मिली।
उन्होंने कहा, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की स्थिति बेहद खराब हो गई। राहुल गांधी ने सभी वरिष्ठ
पदाधिकारियों को अपमानित करने के उपरांत जल्दबाजी में इस्तीफा दिया और इसके बाद आपने अंतरिम अध्यक्ष
के तौर पर पदभार संभाला। इस पद को आप तीन वर्षों से संभाल रही हैं।’’
गांधी परिवार को निशाने पर लेते हुए आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी अब सिर्फ नाममात्र की नेता रह गई हैं,
और सारे महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी या ‘उनके सुरक्षा गार्ड और निजी सहायकों’ द्वारा लिए जाते हैं।
राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने संप्रग सरकार के समय राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश की प्रति फाड़े जाने का
उल्लेख करते हुए कहा कि यह अपरिपक्वता का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण था।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के प्राधिकार को पूरी तरह चोट पहुंचाई। इस
एक कदम ने 2014 में संप्रग सरकार की हार में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।’’
आजाद ने अगस्त, 2020 में उनके और 22 अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा,
‘‘हमारे ऊपर चापलूसों को छोड़ दिया गया और हम पर हमला करवाया गया, हमारा तिरस्कार करवाया गया और
हमें अपमानित करवाया गया।’’
आजाद पार्टी के ‘जी23’ समूह के प्रमुख सदस्य रहे हैं। हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की
चुनाव अभियान समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था।


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