नई दिल्ली। फीफा की ओर से अलग इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने का
मामला आज सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कल
इंडिया फुटबॉल फेडरेशन का मामला 17 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। कृपया इसे डिलीट नहीं
किया जाए क्योंकि 15 अगस्त को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसे डिलीट नहीं
किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि फीफा की ओर से अलग इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने के फैसले का असर यह
होगा कि 2022 फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत से छीन सकती है। इस मामले पर सुनवाई
करते हुए 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर 2022 फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप की
मेजबानी में कोई बाधा खड़ी की गई तो वो हस्तक्षेप करने से नहीं हिचकेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की ओर से
नियुक्त प्रशासकों ने अवमानना याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की
अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी की थी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी बलबीर सिंह ने कहा था कि फीफा के साथ बैठक की जा रही है
और सभी मतभेदों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। प्रशासकों ने प्रफुल्ल पटेल के अलावा राज्य फुटबॉल
फेडरेशन के पदाधिकारियों के खिलाफ भी आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल ने सुप्रीम
कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए एआईएफएफ और राज्य संघों के 35 सदस्यों की एक बैठक बुलाई थी। ये
बैठक 8 अगस्त को जूम पर आयोजित की गई थी। याचिका में पटेल को फुटबॉल से जुड़ी किसी भी तरह की
गतिविधियों में भाग लेने या पद संभालने से रोकने की मांग की गई है । याचिका में कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल
को एआईएफएफ के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। उसके बावजूद उन्होंने लगातार फीफा परिषद के सदस्य
के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है।
उल्लेखनीय है कि 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ का प्रशासन संभालने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी
बनाने का आदेश दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस
अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान रहे भास्कर गांगुली
को इस कमेटी में शामिल किया था। प्रशासकों की इस कमेटी को नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुरूप एआईएफएफ का
संविधान तैयार करने में कोर्ट की मदद करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रशासकों की कमेटी
एआईएफएफ का रोजमर्रा का काम देखेगी।