नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने
जिला और तहसील स्तर पर स्वास्थ्य ढांचे को उन्नत करने के लिए पिछले वित्त वर्ष 64,180 करोड़ रुपये की
लागत से प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) अगले पांच साल के लिए
शुरू किया।
मांडविया ने भाजपा सांसद अनुराग शर्मा के पूरक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि
देश में सड़कों का ढांचा मजबूत होने के साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं और इस लिहाज से स्वास्थ्य ढांचा
विकसित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसी दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में डेढ़ लाख
स्वास्थ्य एवं खुशहाली केंद्र खोलने की योजना शुरू की जिसके तहत 1.20 लाख केंद्र बनाये जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि 64,180 करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन चलाया
जा रहा है जिसके तहत सड़क किनारे और तहसील तथा जिला स्तरों पर गहन स्थिति में चिकित्सा की सुविधाएं
प्रदान की जा रही हैं। मांडविया ने कहा कि यह जिला स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ करने, भावी महामारियों और
प्रकोपों के प्रभावी ढंग से प्रबंधन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना है।
उन्होंने कहा कि योजना के सीएसएस घटक के अंतर्गत, शेष जिलों में रेफरल लिंकेज की स्थापना के साथ-साथ 5
लाख से अधिक आबादी वाले सभी जिलों में 50 से 100 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉकों की स्थापना
के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
मांडविया ने कहा कि अब तक केंद्र सरकार केवल प्राथमिक और द्वितीयक उपचार सुविधाओं के लिए राष्ट्रीय
स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राज्यों को सहयोग करती थी, लेकिन अब तृतीयक स्तर पर भी सहायता दी
जाएगी। प्रश्नकाल में भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करने के लिए केंद्र
की योजनाओं पर पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा कि राज्य स्वास्थ्य के मामले में बहुत निचले स्तर पर है।
इस पर मांडविया ने कहा कि केंद्र सरकार एनएचएम के तहत सभी राज्यों को हरसंभव मदद देती है और इसमें
कोई पक्षपात नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि बिहार में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रस्तावित
हैं जिनमें एक शुरू हो गया है और दूसरा चालू होना है।