इस्लामाबाद। कुछ अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि काबुल में अल
कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मारने वाले अमेरिकी ड्रोन को संभवत: किर्गिस्तान के एक एयरबेस से
लॉन्च किया गया था।
डॉन न्यूज के मुताबिक, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हमला उत्तरी किर्गिस्तान के मानस में अमेरिकी ट्रांजिट
सुविधा गैन्सी एयरबेस से किया गया था।
अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, गांसी किर्गिस्तान में बिश्केक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास एक पूर्व अमेरिकी
सैन्य अड्डा है।
इसे अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालित किया जा रहा था। हालांकि जून 2014 में इसे किर्गिज सेना को सौंप दिया
गया।
अमेरिका के सबसे बड़े रेडियो समाचार नेटवर्क नेशनल पब्लिक रेडियो ने बताया कि अमेरिकी अधिकारी यह नहीं
कह रहे हैं कि उन्होंने ड्रोन कहां से लॉन्च किया, लेकिन अमेरिका के पास अब तत्काल क्षेत्र में कोई सैन्य ठिकाना
नहीं है। इससे ये पता चलता है कि विमान ने अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले लंबी दूरी तय की होगी।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के विद्वान माइकल कुगेलमैन ने
कहा कि ड्रोन हमले को लेकर पाकिस्तान की संभावित भूमिका काफी चर्चा में है।
कुगेलमैन ने अपना ध्यान समर्थन के दो संभावित रूपों हवाई क्षेत्र और खुफिया पर केंद्रित किया। उन्होंने लिखा,
भूगोल झूठ नहीं बोलता। अगर यह ड्रोन खाड़ी में अमेरिकी बेस से लॉन्च किया गया था, तो यह ईरान के ऊपर
उड़ान भरने में सक्षम नहीं होगा। यदि आप इस तरह का ऑपरेशन कर रहे हैं तो मध्य एशिया में उड़ान भरना
कठिन है।
विकल्प यही है कि पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग किया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि
इस ऑपरेशन के लिए प्लानिंग करने में महीनों लग गए।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन कुगेलमैन इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि अफगानिस्तान के मध्य
एशियाई पड़ोसी देश ने अमेरिका को इस ऑपरेशन में सहायता दी है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि जवाहिरी को निशाना
बनाकर मारने वाला ड्रोन पाकिस्तान से संचालित नहीं हुआ।