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काबुल। अफगानिस्तान में कोविड-19 महामारी के बीच लाखों बच्चों को पोलियो का टीका
लगाने के प्रयास जारी हैं। हालांकि हाल ही में टीका लगाने वाले तीन लोगों की हत्या के चलते देश में पैदा हुए
संकट के कारण टीकाकरण अभियान के सामने चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
तीस मार्च को जलालाबाद शहर में घर-घर जाकर टीका लगाने वाले कर्मियों पर हुए दो अलग-अलग हमलों में तीन
महिलाओं की मौत हो गई थी।
अफगानिस्तान में एक दशक में टीकाकरण कर्मियों पर पहली बार हमले हुए हैं। पाकिस्तान में ऐसे हमले होते रहे
हैं, जहां 2011 से अब तक कम से कम 70 सुरक्षाकर्मियों और टीकाकरण अभियान से संबंधित सुरक्षाकर्मियों की
मौत हो चुकी है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान दो ऐसे देश हैं, जहां पोलियो महामारी अब भी मौजूद है। दोनों देशों में पोलियो के
मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। अफगानिस्तान में 2020 में पोलियो के 56 नए मामले सामने आए थे, जो
2011 के बाद से सबसे अधिक हैं। 2011 में 80 मामले सामने आए थे।
अधिकारियों को कहना है कि लगभग एक करोड़ बच्चों को पोलिया का टीका लगाने की जरूरत है। अधिकारी
तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रह रहे 30 लाख बच्चों को टीका लगा पाने में नाकाम रहे हैं। टीकाकरण का
पहला चरण इस साल के आरंभ में जबकि दूसरा चरण 29 मार्च को आयोजित किया गया था। अगले दिन तीन
टीकाकरण कर्मियों की मौत के बाद भी अभियान जारी रहा था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुलाम दस्तगीर नजरी ने बताया कि चार दिवसीय दूसरे चरण के दौरान 60 लाख से
अधिक बच्चों को टीका लगाया गया था।
वहीं, पाकिस्तान में कट्टरपंथी समूह पोलियो टीकाकरण का विरोध करते रहे हैं। उनका मानना है कि पोलियो
टीकाकरण मुस्लिम बच्चों की यौन क्षमता खत्म करने की पश्चिमी देशों की साजिश है।