आय पर संकट

asiakhabar.com | July 30, 2020 | 12:03 pm IST

अर्पित गुप्ता

यह वाकई चिंताजनक बात है कि कोरोना महामारी दायरा अब सिर्फ बीमारी तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि
इसका असर अब लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर भी पडऩा शुरू हो गया है। यह तो हम देख ही रहे हैं कि
महामारी फैल रही है और रोजाना हजारों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं और इस बीमारी से मर भी रहे हैं। लेकिन
इससे भी ज्यादा बड़ा संकट अब यह खड़ा हो गया है कि महामारी ने जिस तरह से लोगों की माली हालत खराब
कर दी है, उससे उबरना कहीं ज्यादा कठिन होगा। अब तो सरकारी तौर पर भी इस बात को माना जा रहा है। हाल
में भारतीय स्टेट बैंक की एक शोध रपट में जो तथ्य सामने आए हैं, वे बता रहे हैं कि मध्यवर्ग और गरीब तबके
के लिए आने वाले दिन बहुत ही मुश्किल भरे होंगे। बैंक की यह शोध रपट बता रही है कि कोरोना महामारी का
असर अब लोगों की आय पर पड़ेगा।
सर्वे बता रहा है कि महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे अपेक्षाकृत संपन्न राज्यों में प्रति व्यक्ति
आय में दस से बारह फीसद की गिरावट आएगी। जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओड़ीशा जैसे राज्यों
जहां प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से भी कम है, वहां यह गिरावट आठ फीसद तक जा सकती है। अगर सर्वे
के इन निष्कर्षों से जरा अलग हट कर देखें, तो पता चलता है कि जिन राज्यों में कोरोना से हालात ज्यादा खराब
हुए हैं, वहां प्रति व्यक्ति आय ज्यादा गिरेगी। महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और तमिलनाडु के हालात किसी से छिपे
नहीं हैं। दरअसल, जिन राज्यों में औद्योगिक गतिविधियां ठप हो गई हैं, वहां संकट ज्यादा गहराया है। सर्वे में
साफ तौर पर यह सामने आया है कि बाजारों की हालत जल्दी ही पटरी पर नहीं आने वाली। इस वक्त ज्यादातर

शहरों में बाजार खुल गए हैं, लेकिन सत्तर से अस्सी फीसद ग्राहक नदारद हैं। सवाल है कि लोग बाजार में क्यों
नहीं जा रहे, बीमारी के डर से या पैसा नहीं होने की वजह से?
इस वक्त सबसे बड़ी समस्या यह है कि करोड़ों लोगों के पास काम नहीं है। ज्यादातर नियोक्ता, यहां तक कि कई
बड़ी कंपनियां भी 'आपदा को अवसरÓ में तब्दील करते हुए अपने को बचाने में जुट गई हैं और इसके पहले उपाय
के तौर पर वेतन कटौती और छंटनी जैसा कदम उठाया गया। इसलिए जब लोगों की नौकरी जाएगी, पैसा होगा
नहीं तो आय तो घटेगी ही। गरीब के हाथ में नगदी नहीं है। मध्यमवर्ग के सामने समस्याएं ज्यादा तेजी से बढ़ रही
हैं। रोजगार बाजार के हालात बता रहे हैं कि जल्द ही नौकरियां नहीं मिलने वाली। जिन लोगों की नौकरियां चली
गई हैं, उन्हें पहले के मुकाबले आधे पैसे में भी काम नहीं मिल रहा। ज्यादातर गतिविधियां ठप रहने से दिहाड़ी
मजदूरों की आय भी बंद है। उद्योग कर्ज लेने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि वे पहले से कर्ज में डूबे पड़े हैं। ऐसे में
बड़ा सवाल है कि इन हालात में लोगों को कैसे नौकरियां मिलेंगी? कहने को सरकार ने गरीबों से लेकर उद्योगों
तक को राहत दी है, लेकिन यह राहत ऐसी साबित नहीं हो रही, जो लोगों को मुश्किलों से बाहर निकाल सके।
सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए थी लोगों का रोजगार बचाना, लेकिन इसमें देश के करोड़ों लोगों को सरकार से
निराशा ही हाथ लगी। ऐसे में महामारी की जेब पर मार पडऩे से कैसे बचा जा सकता है?


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *