कोरोना की भेंट चढ़ गया विश्व के सबसे ऊँचे रावण का पुतला

asiakhabar.com | July 30, 2020 | 12:00 pm IST

विनय गुप्ता

कोरोना महामारी, शताब्दी की सबसे बड़ी एवं प्रलयकारी समस्या के रूप में पूरे विश्व में उथल पुथल मचाए हुए
है।आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक, खेल कूद, मनोरंजन आदि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसे
कोरोना ने प्रभावित न किया हो। उदाहरणार्थ जी 7 देशों का शिखर सम्मेलन जो इसी वर्ष 10-12 जून को
वाशिंगटन में होना तय था। परन्तु कोरोना महामारी के कारण इस सम्मेलन को फ़िलहाल सितंबर तक स्थगित कर
दिया गया। जापान में होने वाले 'टोक्यो ओलंपिक' खेलों को भी फ़िलहाल एक वर्ष के लिये स्थगित कर दिया गया
है। इसके पहले ओलंपिक के आयोजन को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 में रद्द किया गया था। उस समय
ओलंपिक जर्मनी के बर्लिन शहर में होना था। इसी तरह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने कोराना वायरस संक्रमण के
विश्व व्यापी प्रभाव की वजह से इंडियन प्रीमियर लीग अर्थात आई पी एल के 13वें संस्करण का आयोजन भी
अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया है। 2008 से शुरु हुआ आई पी एल इस वर्ष गर्मियों के मौसम में नहीं
खेला जाएगा, ऐसा पहली बार होगा। आई पी एल के अब तक के सभी 12 संस्करण मार्च से मई माह के बीच
गर्मियों में ही खेले गए हैं। इसी प्रकार 36वें राष्ट्रीय खेल भी कोरोना वायरस महामारी के कारण अनिश्चितकाल के
लिए स्थगित कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय खेलों का आयोजन अक्टूबर-नवंबर माह के दौरान गोवा में होना प्रस्तावित
था परन्तु कोरोना महामारी के कारण ये आयोजन संभव नहीं हो पा रहे हैं।
इसी तरह इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र व महत्वपूर्ण विश्व स्तरीय आयोजन 'हज' इस बार केवल सऊदी अरब के
चंद स्थानीय लोगों द्वारा ही अदा कर हज की केवल औपचारिकता अदा की जा रही है। उत्तर भारत की हिन्दू
धर्मावलंबियों की कांवड़ यात्रा इस बार नहीं हो सकी। ईद और रमज़ान जैसे त्यौहार जो धार्मिक होने के साथ साथ
देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करते थे, इस बार पूरी तरह फीके रहे। यदि कहीं कुछ ज़रूरी आयोजनों को
किया भी जा रहा है तो या तो उनकी रौनक़ समाप्त हो गयी है या कोरोना से बचाव के निर्धारित दिशा निर्देशों का
पालन करते हुए उन्हें संपन्न करने के प्रयास किये गए हैं। सरकार तथा जनता का पूरा प्रयास है कि जितना संभव
हो सके भीड़ भाड़ इकट्ठा होने से रोका जा सके ताकि किसी आयोजन विशेष की वजह से कोरोना महामारी को और
अधिक फैलने का मौक़ा न मिल सके। गोया भारत सहित लगभग पूरे विश्व के मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारे व
अन्य सभी धर्मों के धर्म स्थल व सभी धर्मों के त्योहारों पर कोरोना का ग्रहण साफ़ दिखाई दे रहा है। इससे भी बड़ी
चिंता की बात यह है कि पूरी मानव जाति को प्रभावित करने वाली यह भयावह स्थिति भविष्य में कब तक बनी
रहेगी इस बात को लेकर भी पूरी अनिश्चितता बनी हुई है।
ज़ाहिर है जब पूरी दुनिया पर कोरोना अपना प्रभाव छोड़ रहा है तो बुराइयों का प्रतीक विश्व का सबसे विशाल व
सबसे ऊँचा रावण का पुतला भी इस महामारी के प्रभाव से स्वयं को बचा नहीं पाया। पूरे उत्तर भारत के लिए
कौतूहल बना रावण का पुतला अपने आप में अनेक ऐसी विशेषताएँ समेटे हुए था जो आम तौर पर देश और दुनिया
में विजयदशमी के दिन दहन किये जाने वाले रावण के पुतलों में नहीं मिलतीं । श्री राम लीला क्लब, बराड़ा, ज़िला
अम्बाला द्वारा निर्मित किया जाने वाला रावण का पुतला गत वर्ष अंतिम बार चंडीगढ़ में पंजाब के राज्यपाल के
हाथों अग्नि की भेंट किया गया था। अंतिम बार इसकी ऊंचाई 220 फ़ुट रखी गयी थी। श्री राम लीला क्लब बराड़ा

के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंदर सिंह चौहान के निर्देशन में तैयार होने वाला यह विशालकाय पुतला प्रत्येक वर्ष
लाखों लोगों को अपनी और आकर्षित करता था। विजयदशमी से लगभग एक सप्ताह पहले स्थापित हो जाने के
कारण प्रतिदिन लाखों दर्शनार्थी इसे देखने आते थे तथा भारी भीड़ के चलते हज़ारों लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से
इससे रोज़गार भी अर्जित कर रहे थे। तेजिंदर चौहान से इस विषय पर बात करने पर पता चला कि इस बार भी
चंडीगढ़ में ही रावण के विशाल पुतले के निर्माण की योजना थी। परन्तु कोरोना तथा इसके चलते जारी सरकारी
दिशा निर्देशों के चलते न तो अब इसका निर्माण संभव हो सकेगा न ही इसकी स्थापना व दहन संभव है। लिहाज़ा
बड़े दुःख के साथ यह घोषणा करनी पड़ रही है कि इस बार विश्व का सबसे ऊँचा रावण का पुतला भी अन्य
राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की तरह 'कोरोना की भेंट' चढ़ गया है।
रावण का यह विशाल पुतला अपने आप में धार्मिक व सामाजिक एकता व सद्भाव का भी प्रतीक था। श्री राम
लीला क्लब, बराड़ा के संयोजक की भूमिका तनवीर जाफ़री निभाते थे। रावण के पुतले के समक्ष गीत संगीत के
अनेक कार्यक्रम, भजन क़व्वाली, यहाँ तक कि पूर्वोत्तर राज्यों के लोकनृत्य व लोक गीत आदि हुआ करते थे। रावण
के इस विशाल पुतले तथा श्री राम लीला क्लब बराड़ा को अपनी इन्हीं विशेषताओं व सफलता की वजह से 5 बार
देश के सबसे प्रतिष्ठित कीर्तिमान लिमका रिकार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है। क्लब संयोजक तनवीर जाफ़री के
अनुसार श्री राम लीला क्लब बराड़ा देश और दुनिया का अकेला ऐसा क्लब है जिसे एक ही विधा में पांच बार विश्व
रिकार्ड से सम्मानित किया गया हो। क्लब के अध्यक्ष चौहान का कथन है कि समाज में जैसे जैसे बुराइयां बढ़ती
गयीं वैसे वैसे इस पुतले की ऊंचाई भी बढ़ती गयी। और हर बार यह विशालकाय पुतला अग्नि की भेंट चढ़कर यही
सन्देश देता था की बुराई चाहे जितनी विशाल क्यों न हो जाए परन्तु अंत्तोगत्वा उसे इसी पुतले की तरह जलकर
ख़ाक हो जाना है। अत्यंत दुखद है कि साम्प्रदायिकता, जातिवाद, बेरोज़गारी, मंहगाई, अशिक्षा, आतंकवाद, दहेज़
प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों को प्रतिबिम्बित करने वाला तथा लाखों
सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला रावण का सबसे ऊँचा पुतला भी कोरोना महामारी की भेंट चढ़ जाने
के कारण इस वर्ष आम लोगों के दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं रह सकेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *