ब्रेस्टफीड कराना न सिर्फ शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए बल्कि माओं के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। इससे शिशुओं और माताओं दोनों के स्वास्थ्य पर पॉजिटिव असर होता है। आज इस आलेख में हम आपको ब्रेस्टफीडिंग कराने से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे।
ब्रेस्टफीडिंग के क्या फायदे हैं?
शिशुओं को मिलता है संपूर्ण पोषण
ब्रेस्टफीड कराने से शिशुओं को संपूर्ण पोषण मिलता है। दरअसल, मां के दूध में लगभग सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, तो आपके शिशु के लिए जरूरी होता है। इससे काफी हद तक बच्चों को कुपोषण की समस्या होने से रोका जा सकता है।
बीमारियों से रखे सुरक्षित
स्तनपान कराने से शिशुओं को कई तरह की समस्याओं से सुरक्षित रखा जा सकता है। यह शिशुओं को अस्थमा, मोटापा, डायबिटीज जैसी परेशानियों से दूर रखता है। साथ ही पाचन संबंधी विकारों से भी सुरक्षित रखने में प्रभावी हो सकता है।
मां के लिए भी है फायदेमंद
स्तनपान कराने से न सिर्फ शिशुओं को लाभ होता है, बल्कि यह माताओं के लिए भी सही माना जाता है। इससे ब्रेस्ट कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज जैसी समस्याओं के खतरे से सुरक्षित होने में मदद मिलती है।
किस तरह कराएं स्तनपान?
नई माओं को नवजात शिशुओं को अपने पास रखने की सलाह दी जाती है। शिशु को अपनी स्किन से स्किन लगाकर रखने से मिल्क का प्रोडक्शन काफी अच्छा हो सकता है। इससे फीडिंग रिफ्लेक्स को बढ़ावा मिलता है।
सही पॉजिशन में कराएं ब्रेस्टफीड : सही पॉजिशन में ब्रेस्टफीड कराना बहुत ही जरूरी होता है। अगर आप गलत पॉजिशन में फीड करा रहे हैं, तो इससे शिशुओं को असुविधा हो सकती है। हालांकि डॉक्टर्स कहते हैं कि ब्रेस्टफीड के लिए कोई फिक्स पोजीशन नहीं होती है। बल्कि जिस स्थिति में मां और बच्चा दोनों कम्फर्टेबल रहते हैं कि उस पोजीशन में ब्रेस्टफीड कराना चाहिए। साथ ही मां को ये ध्यान रखना चाहिए कि जब तक वो आरामदायक स्थिति में नहीं बैठी है तब तक बच्चा भी सही तरह से फीड नहीं कर पाएगा और सही मात्रा में उसे पोषण भी नहीं मिलेगा।