अगर आपके पास एंड्रॉयड स्मार्ट फोन है ये खबर ज्ञानवर्धक है। आपके मोबाइल में कोई एंटी वायरस या सिक्यूमरिटी एप्पर है तो वो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। एंड्रॉयड के सिक्योरिटी चीफ एडरियन लुडविग ने गूगल के एक डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में कहा एंड्रॉयड यूजर्स को एंटी वायरस एप इंस्टॉल करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि 99 फीसदी यूजर्स को इससे कोई फायदा नहीं होता। कई सिक्योरिटी रिसर्चर्स का मानना है कि एंटी वायरस आपके स्मार्टफोन की ज्यादा बैट्री की खपत करते हैं।
यही नहीं, इस वजह से आपका मोबाइल हैंग भी करता है। एंड्रॉयड के इन्बिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम रोकते हैं मैलवेयर गूगल एंड्रॉयड में प्ले सर्विस के तहत कई सिक्योरिटी स्कैनिंग सॉफ्टवेयर होते हैं जो प्ले स्टोर से डाउनलोड होने वाले एप को स्कैन करते हैं। कई एंटी वायरस कंपनियों ने भी इस बात को माना है कि एंड्रॉयड मे इन्बिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं जो मैलवेयर को रोकते हैं, पर कैशे और दूसरी जंक फाइल्स को रिमूव करने के लिए एंटी वायरस पैकेज मददगार साबित हो सकते हैं।
कैसे आते हैं वायरस:- एंड्रॉयड डिवाइस में सबसे ज्यादा मैलवेयर गूगल प्ले स्टोर के जरिए आते हैं, क्योंकि इसके जरिए ही यूजर्स एप डाउनलोड करता है। खतरनाक एप डेवलपर्स कई ऐसे एप बना कर प्ले स्टोर पर अपलोड करते हैं जो मैलवेयर का काम करते हैं और ये आसानी से डिटेक्ट नहीं होते।इसके अलावा ईमेल अटैचमेंट, एमएमएस और एपीके फाइल के जरिए भी एंड्रॉयड में वायरस आते हैं। आजकल मैसेजिंग एप व्हाट्एस और टेलीग्राम पर भी हैकर्स खतरनाक कोड भेजकर स्मार्टफोन में मैलवेयर इंजेक्ट करते हैं। एंटी वायरस एप स्मार्टफोन के मैलवेयर और वायरस को स्कैन करते हैं। प्ले स्टोर पर कई फ्री एंटी वायरस एप उपलब्ध हैं। एंटी वायरस यूजर्स के मोबाइल से खुद वायरस नहीं हटाते बल्कि उसे आपको रिमूव करना होता है। हालांकि कई बार आपके काम के एप को भी एंटी वायरस उसे मैलवेयर समझकर डिलीट करने को कहता है।
कई फ्रीवेयर एंटी वायरस स्मार्टफोन में मैलवेयर लाने का एक जरिया होते हैं। फ्री एंटी वायरस अप टु डेट भी नहीं होते, क्योंकि हर रोज प्रोग्रामर नए वायरस का कोड लिखते हैं। अगर आप एंड्रॉयड की कुछ सेटिंग्स में बदलाव करें और वेबसाइट्स व एप्स का ध्यान रखें तो बिना एंटी वायरस के भी आपका एंड्रॉयड सुरक्षित रहेगा। इसके लिए सिक्योरिटी सेटिंग्स के डिवाइस एडमिनिस्ट्रेशन ऑप्शन से अननोअन सोर्सको ब्लॉक कर दें। इससे आपके स्मार्टफोन में वे एप इंस्टॉल नहीं होंगे, जिनके पब्लिशर्स की वैरिफिकेशन नहीं हुई होगी। बिना वेरिफाइड पब्लिशर्स के सॉफ्टवेयर से वायरस आने के खतरे सबसे ज्यादा होते हैं।
इसके अलावा समय-समय पर फोन से कैशे व अन्य बेकार फाइल्स को रिमूव करते रहें। अगर आपने एक महीने तक कैशे क्लियर नहीं किया है तो आपके फोन का लगभग 2जीबी डेटा कैशे फाइल्स ले लेती हैं। इसे क्लियर करने के लिए स्टोरेज सेटिंग्स में जाकर इस कैचड डाटाऔर मिस्क को अपने मुताबिक डिलीट कर लें। सीसी क्लीनर जैसे कई सिक्योरिटी एप्स इन्हीं फाइल्स को क्लियर करने के लिए आपके मोबाइल का एक्सट्रा स्पेस लेते हैं। इससे बेहतर है आप यह सब खुद से ही करें। अगर आप यह सब नहीं कर सकते हैं तो आप किसी फ्री एंटी वायरस को इंस्टॉल करने की बजाय कुछ पैसे दे कर एंटी वायरस खरीदें। फ्री एंटी वायरस इंस्टॉल करने से आपका स्मार्टफोन असुरक्षित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये एंटी वायरस ऐड के जरिए पैसे कमाते हैं और आपके स्मार्टफोन में ऐड के जरिए मैलवेयर आ सकते हैं।