पश्चिम बंगाल में दिघा, मंदारमनी और शंकरपुर पास-पास स्थित खूबसूरत स्थान हैं। आप यहां से करीब
पौने दो सौ किलोमीटर दूर स्थित कोलकाता के ऐतिहासिक आकर्षण जैसे इंडियन म्यूजियम, विक्टोरिया
मेमोरियल, बेलूर मठ, दक्षिणेश्वर मंदिर भी देखने जा सकते हैं। आज हम आपको इन सबके बारे में
बताएंगे।
दिघा, पश्चिम बंगाल
दिघा बीच को ब्रिटेन ऑफ द ईस्ट कहते हैं। यह पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा सी रिजॉर्ट है। यह
कोलकाता से 187 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां कम ढाल वाला छिछला समुद्री तट बेहद खूबसूरत
प्राकृतिक नजारे हैं। दिघा को पर्यटन के नक्शे पर लाने का श्रेय अंग्रेज पर्यटक जॉन फ्रैंक स्मिथ को जाता
है, वे यहां 1923 में आए और इस स्थान की खूबसूरती से प्रभावित होकर यहीं बस गए।
मंदारमनी, पश्चिम बंगाल
यह दिघा से 13 किलोमीटर और कोलकाता से 171 किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का
बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। यहां 13 किलोमीटर लंबा टोरेबल बीच है। मंदारमनी आकर आपको
बहुत शांति मिलेगी। जब इस स्थान की खोज हुई थी तब इसका नाम मंदारबोनी था, जो बाद में
मंदारमनी हो गया।
शंकरपुर, पश्चिम बंगाल
यह भी एक समुद्रतटीय शहर है। यह मंदारमनी से करीब 21 किलोमीटर और दिघा से 14 किलोमीटर दूर
है। शंकरपुर के समुद्र तट दिघा के समुद्र तटों से अधिक खूबसूरत हैं। भीड़भाड़ से दूर यह भी बहुत शांत
समुद्र तट है। यहां आप इत्मिनान से रेत पर अठखेलियां करते हुए घंटों समुद्र को निहारें। यह स्थान
आपकी यादों में बस जाएगा।
इंडियन म्यूजियम, कोलकाता
यह भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसे जादूघर के नाम से भी जाना जाता है। यह छह खंडों में बना
है। यहां मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल की निशानियां रखी हैं। यहां 4000 साल पुरानी मिस्र की ममी भी
है।
विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता
इसकी स्थापना लार्ड कर्जन ने 1905 में की थी। संगमरमर का बना यह स्मारक ब्रिटिश और मुगल
वास्तुशैली का अदभुत संगम है। इसकी दीवारों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। यहां अंग्रेजों की
निशानियां रखी हुई हैं।
बेलूर मठ, कोलकाता
हुगली नदी के उस पार मशहूर बेलूर मठ है, जहां देवी मां के उपासक संत रामकृष्ण परमहंस का मंदिर
है। यहां उनकी और उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद की समाधि है। इस मंदिर में शाम के समय होने वाली
आरती को जरूर देखना चाहिए।
दक्षिणेश्वर मंदिर, कोलकाता
यह शहर का सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर है। इसे करीब 200 साल पहले रानी रशोमोनी ने बनवाया था।
पवित्र हुगली नदी के किनारे स्थित यह देवीस्थल भक्तजनों को आकर्षित करता है।