उत्तराखंड के चमोली डिस्ट्रिक्ट में स्थित है बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता। यहीं से तुंगनाथ और चंद्रशिला के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है। चोपता से हिमालय की नंदा देवी, त्रिशूल और चैखंबा पहाड़ियां बेहद साफ दिखाई देती हैं। यहां की नैचरल ब्यूटी अपने आप में अनोखी है। तभी तो ब्रिटिश कमिश्नर एटकिन्सन ने इसके लिए कहा था कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में चोपता नहीं देखा, तो उसका इस धरती पर जन्म लेना बेकार है। वैसे, यह हिल स्टेशन अभी तक टूरिस्टों की नजरों में चढ़ा नहीं है, इसलिए भीड़भाड़ कम होने की वजह से यहां आपको बेहद शांति मिलेगी।
कुदरत की खूबसूरत अदा
चोपता में आपको नैचरल खूबसूरती की कई चीजें एक ही जगह पर मिलेंगी। छोटे-बड़े झरने, रेयर ऐनिमल्स, डिफरेंट फ्लॉवर्स, कोहरे में लिपटी ऊंची-नीची पहाड़ियां और मीलों तक फैले घास के मैदान, यानी कई चीजों का अलौकिक संगम। यही नहीं, बुरांश और बांस के पेड़ों के बीच से गुजरते हुए कई तरह के पक्षियों की आवाजें ऐसी महसूस होती हैं, जैसे नेचर ही कोई अद्भुत इंस्ट्रुमेंट बजा रही हो
बुग्याल की दुनिया
जनवरी-फरवरी में तो यह जगह बर्फ से ढक जाती है। लेकिन जुलाई-अगस्त में यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस दौरान मीलों तक फैले घास के मैदान और डिफरेंट वरायटी के फूल यहां आने वालों को अपने मोहपाश में बांध लेते हैं। खास बात यह है कि पूरे गढ़वाल एरिया में यह अकेली ऐसी जगह है, जहां बस से उतरते ही आप बुग्यालों की दुनिया की देख सकते हैं।
सुबह के ये नजारे
चोपता की हर सुबह अलग होती है। सूर्य की किरणें जब हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों पर पड़ती है, तो सफेद बर्फ पर पड़तीं सुनहरी किरणें एक अलग ही नजारा पेश करती हैं। तब ऐसी महसूस होता है कि कुदरत ने एक पेंटर बनकर इन पहाड़ियों पर एक मास्टर पीस क्रिएट कर दिया हो। दिन चढ़ने के साथ जैसे-जैसे सूरज आगे बढ़ता है, तो उसी के साथ पहाड़ियों की खूबसूरती भी बदलती जाती है।
तुंगनाथ मंदिर
चोपता से तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद 13 हजार फीट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है, जो तुंगनाथ हिल पर बना है। यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना माना जाता है। यहां भगवान शिव के पांच केदारों में से एक की पूजा होती है। एक पुरानी कथा के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था। तुंगनाथ जाने के लिए घोड़ों की भी सुविधा आपको मिल जाएगी। रास्ते में कई ढाबे हैं, जहां चाय-पानी का इंतजाम रहता है। आधे रास्ते की चढ़ाई चढ़ने के बाद आपको कोई पेड़ नजर नहीं आएगा और आपकी आंखों के आगे बस घास के मैदान ही फैले होंगे। पूरा सीन ऐसा लगेगा जैसे घास की चादर आपके स्वागत के लिए बिछाई गई हो।
चंद्रशिला चोटी
तुंगनाथ से तकरीबन दो किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद 14 हजार फीट की ऊंचाई पर पर चंद्रशिला चोटी है। यहां केवल पैदल ही जाया जा सकता है। यहां से हिमालय इतना नजदीक है कि लगता है कि मानो आप हाथ बढ़ाकर उसे छू लेंगे। हालांकि इतनी हाइट पर आपको यहां ऑक्सिजन की कमी भी महसूस होगी।
देवहरिया ताल
चोपता से तकरीबन आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद देवहरिया ताल पहुंचा जा सकता है, जो तुंगनाथ मंदिर की उत्तरी दिशा में है। इस ताल की खासियत है कि यहां आप चैखंभा, नीलकंठ आदि बर्फ से ढकी चोटियों की इमेज देख सकते हैं। यह ताल 500 मीटर की रेंज में फैला हुआ है। इसके एक तरफ बांस व बुरांश के जंगल और दूसरी तरफ खुला मैदान है।
कब जाएं
यहां जाने के लिए मई से नवंबर तक का समय बेस्ट है। हालांकि अगर बर्फ का मजा लेना चाहते हैं, तो उसके लिए जनवरी से फरवरी में यहां जाया जा सकता है।
ऊनी कपड़े जरूरी
मौसम चाहे गर्मी का ही क्यों न हो, यहां हमेशा ऊनी कपड़े लेकर जाना जरूरी है।
गेस्ट हाउस
टिकने के लिए आपको यहां से 4 किलोमीटर दूर गेस्ट हाउस मिलेगा। यहां आपको तमाम फैसिलिटीज मिलेंगी, तो आप रॉक क्लाइंबिंग, ट्रैकिंग वगैरह का एडवेंचर भी इंजॉय कर सकते हैं।
वहीं इको टूरिज्म रिसोर्ट यहां से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। यह जगह चोपता से वेल कनेक्टेड है। अगर आप तकरीबन 15 लोगों के ग्रुप में हैं, तो आप यहां आराम से स्टे कर सकते हैं। लेकिन अगर आप 25 या उससे ज्यादा के ग्रुप में हैं, तो आपको एडिशनल टैंट की सुविधा मिल जाएगी। यहां आपके पास बर्ड वॉचिंग, योगा सैनिटरी प्रोग्राम, कैपिंग, रॉक क्लाइबिंग, क्लिप क्लाइबिंग, रेपलिंग और रफ्टिंग जैसी स्पोर्ट्स एक्टिविटीज वगैरह के प्रोग्राम जॉइन करने का भी ऑप्शन रहेगा।
कैसे पहुंचें:-
चोपता दिल्ली से 440 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
-यहां पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जौलीग्रांट है, जिसकी दूरी 221 किलोमीटर है।
-चोपता का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यह चोपता से 202 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस और टैक्सी से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां के लिए जीप भी बुक करायी जा सकती है।
-बस से चोपता कई बड़े शहरों मसलन रुद्र प्रयाग, गौरीकुंड, श्रीनगर, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, पौड़ी और ऋषिकेश से कनेक्टेड है।