ब्रह्पुराण में गोदावरी की महिमा के बारे में बताया गया है। महर्षि गौतम ने शंकर जी की कृपा से पृथ्वी पर इन्हें अवतरित किया। एक पुराण के अनुसार एक ब्रह्माणी योगाभ्यास करते−करते गोदावरी बन गई। गोदावरी पश्चिम घाट त्र्यम्बक पर्वत से निकल कर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। आयुर्वेद के अनुसार इसका जल औषधि है। ब्रह्पुराण में कहा गया है कि गोदावरी के तट पर हर चार अंगुल पर तीर्थ हैं। गोदावरी की सात धाराएं निकलती हैं जिनके नाम हैं− वशिष्ठा, कौषिकी, बृद्ध, गौतमी, भारतद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या।
गोदावरी के प्रमुख तीर्थों में नासिक की महिमा बहुत मानी जाती है। यहां पर त्र्यम्बकेश्वर की गणना द्वादश−ज्योतिर्लिंग में की जाती है। भगवान राम ने यहीं पंचवटी में वनवास के कई साल बिताये थे। यहीं से सीता का हरण हुआ था। प्रत्येक बारह वर्ष पर जब बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में कुम्भ पर्व होता है। मुंबई से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर नासिक रोड़ प्रसिद्ध स्टेशन है। नासिक और पंचवटी वास्तव में दोनों एक नगर हैं। गोदावरी दोनों के बीच से बहती है। दोनों ही तटों पर तीर्थों की भरमार है।गोदावरी त्र्यम्बक के पास से निकलती है। वर्षा के बाद यहां बहुत अधिक जल नहीं रहता। गोदावरी पर कई पुल बने हैं। गोदवरी में रामकुण्ड, सीताकुण्ड, लक्ष्मणकुण्ड, धनुषकुण्ड आदि अनेक तीर्थ हैं। स्नान का मुख्य स्थान रामकुण्ड है। रामकुण्ड में कुछ दूरी पर अरुणा की धारा गोदावरी में गिरती है। इसे अरुणा संगम कहते हैं। इसके पास सूर्य, चंद्र, अश्विनी तीर्थ हैं। लोग यहां कपड़े पहनकर स्नान करते हैं। रामकुण्ड के पीछे सीताकुण्ड है। पास में द्विमुखी हनुमान की प्रतिमा है। वहीं हनुमान कुण्ड, दशाश्वमेध तीर्थ हैं। पास में नारो शंकर मंदिर है। उसके आगे पेशवा कुण्ड, खण्डोवा कुण्ड, ओक कुण्ड, वैशम्पायन कुण्ड, इन्द्र कुण्ड, मुक्तेश्वर कुण्ड हैं। इसी गोदावरी में अहिल्या संगम तीर्थ है। सभी कुण्डों पर स्नान−ध्यान, पिण्डदान और तर्पण किये जाते हैं।
रामकुण्ड के ऊपर गंगाजी का मंदिर है। पास में गोदावरी मंदिर है। यह बारह वर्ष में केवल एक बार खुलता है। मंदिर के सामने बाणेश्वर शिवलिंग है। पास ही राम मंदिर है जिसे अहिल्याबाई ने स्थापित किया था। वहीं कुछ सीढ़ी ऊपर कपालेश्वर शिव मंदिर है। कपालेश्वर से दो फर्लांग की दूरी पर विशाल राम मंदिर काले पत्थर से निर्मित है। वहीं पंचवटी है जहां पांच बरगद के वृक्ष हैं। बरगद के वृक्ष के पास सीता गुफा है। सीता गुफा के पास ही भगवान नटराज की मूर्ति है। पास में ही राम गया तीर्थ है। पंचवटी के पुल के पास सुन्दरनारायण भगवान की मूर्ति है। यहां के प्रसिद्ध अन्य मंदिर निम्न हैं− उमा महेश्वर, नील कण्ठेश्वर, पंचरत्नेश्वर, गोराराम मंदिर, मुरलीधर, तिलभाण्डेश्वर, भद्रकाली, एकमुखदन्त एवं मुक्तेश्वर की अत्यन्त सुंदर कलापूर्ण मंदिर हैं।
जहां गोदावरी में कपिला नामक नदी मिलती है वही तपोवन है। यहीं शूर्पणखा की नाक लक्ष्मण ने काटी थी। यहां आठ तीर्थ हैं− ब्रह्म तीर्थ, शिव तीर्थ, विष्णु तीर्थ, अग्नि तीर्थ, मुक्ति तीर्थ, कपिला तीर्थ और संगम तीर्थ। इन तीर्थों के पास कई मंदिर हैं।
नासिक से दस किमी की दूरी पर गंगापुर प्रपात है लेकिन अब यह प्रप्रात लुप्त हो गया है लेकिन यहां अनेक छोटे−छोटे तीर्थ हैं। थोड़ी दूरी पर सीता सरोवर है जहां चार−पांच कुण्ड हैं। नासिक से कुछ दूरी पर हाकली गांव में समर्थ रामदास द्वारा स्थापित हनुमान जी की मूर्ति है जो गोबर द्वारा निर्मित है। थोड़ी दूर पहाड़ी पर रामशैय्या है। वहां दो−तीन गुफाएं हैं। पाण्डव गुफा नासिक से कुछ दूरी पर है। यहां कुल 23 गुफाएं हैं। यहां हर गुफा में बुद्ध की मूर्ति है। तीफाड़ तहसील में मृगव्याधेश्वर शिव मंदिर हैं। कहते हैं भगवान राम ने मारीच को यहीं मारा था। नासिक से 40 किमी की दूरी पर जटायु क्षेत्र है जहां जटायु का अंतिम संस्कार किया गया था।