जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित लद्दाख अपने में अनोखी विशेषताओं को समेटे हुए है। कुदरत ने तो यहां अपना भरपूर सौंदर्य लुटाया ही है, यहां की संस्कृति और धार्मिक-ऐतिहासिक विरासत भी इसे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाता है। समुद्र तल से करीब 10000 कि.मी. की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में मानव-सभ्यता का इतना समृद्धशाली रूप देख कर हर कोई दंग हो जाता है। इस स्थल की सड़क मार्ग से अगर यात्रा करें तो लगता है कि ना जाने किस लोक में जा रहे हैं हम। और हवाई-जहाज से जाएं तो दूर-दूर तक फैले पहाड़ और हरी-भरी घाटियां देखकर एक अनोखा ही अनुभव होता है। यहां पहुंचकर एक अनोखी सभ्यता से साक्षात होते हैं हम। मुस्कुराते चेहरे, विशेष वेशभूषा, भिन्न खान-पान, मुग्ध करने वाली पूजा-पद्धति, पोषित करने वाली प्रकृति और प्यार-मुहब्बत वाले लोग लद्दाख को अलग सभ्यता करार देती है। लद्दाख से लौटकर वहां की तमाम रोमांचक और अनोखी विशेषताओं को हरिभूमि के साथ साझा कर रही हैं लेखिका।
जीवनशैली
जुले है संबोधन: लद्दाख के निचासियों की जीवनशैली कई मायनों में अलग और प्यारी है। वहां जब भी आपस में लोग मिलते हैं तो एक-दूसरे को जुले कहते हैं। हमें पहले दिन ही शहर के नुक्कड़ पर पैंपलेट दिए गए, जिसमे लिखा था विश्व में जुले शब्द फैलाओ। हमने पूछा कि भई ये जुले क्या है तो हमें बताया गया कि इसका मतलब है-नमस्ते। फिर तो हम जितने दिन वहां रहे, हर किसी से सामना करने वाले बच्चे बड़े-बुजुर्ग को जुले कहने लगे। सबके मुस्कुराते चेहरे जुले के बदले जुले कहते।
बेहद खुशनुमा अनुभूति
अनोखा परिधान गुंचा: लद्दाख में स्त्री-पुरुष प्रायः शरीर के ऊपरी हिस्से पर एक घेरदार गाउन जैसा वस्त्र पहनते हैं, जो ज्यादातर गहरे भूरे या मैरून रंग का होता है और वहां की तीव्र ठंड से सुरक्षा करता है। इसे स्थानीय बोली में गुंचा कहते हैं।
मंत्रमुग्ध कर रहे थे फिरोजी पत्थर
गहने में फिरोजी पत्थर: फिरोजी रंग का पत्थर कईं गहनों में जड़ा हुआ दिखाई दे रहा था। जिस तरह से वहां के गोंपा, वेशभूषा, संबोधन मंत्रमुग्ध कर रहे थे, वैसे ही यह फिरोजी रंग के गहने आकर्षित कर रहे थे। हमने देखा कि वहां महल के संग्रहालय में रानियों के ताज में भी बड़े-बड़े फिरोजी पत्थर जड़े थे। फिर देखा कि पटरी पर भी वही पत्थर तौल कर बिक रहे थे। एक स्थानीय महिला जो यह पत्थर खरीद रही थी ने बताया कि यह सुहाग की निशानी होती है, इसलिए हर सुहागन महिला को यह पहनना आवश्यक है, चाहे वो साधारण काले डोरे में पिरोकर ही पहने।
शाही अंदाज एल शेप किचेन
एल शेप किचेनः यहां के घरों की रसोई भी विशेष तरह की होती है। जिस गेस्ट हाउस में हम रुके थे, वहां खाने की भी सुविधा थी। एक दिन हमने खाने का ऑर्डर दिया तो वहां की मुखिया ने आदरपूर्वक हमें रसोई में आने का निमंत्रण दिया। रसोई में बैठ कर खाने की व्यवस्था थी। एल शेप में शाही अंदाज में चैकियां लगी हुई थीं। चमचमाते बर्तन रसोई की शोभा बढ़ा रहे थे। चाय बनाने का अनोखा उपकरण देखा, जिस्में वो लोग बटर टी बनाते हैं।
दर्शनीय स्थल
वैसे तो लद्दाख में जिधर भी निगाह जाती है, वहां कुछ अनोखा नजर आ जाता है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे स्थल हैं, जिन्हें आप एक बार देखकर कभी भुला नहीं पाएंगे।
रहस्यमयी गोंपा
लद्दाख के धर्मस्थल गोंपा कहलाते हैं। ये रहस्यमयी मंदिर मन को बेहद सुकून देने वाले होते हैं। इनमें रखी पीतल की बड़ी-बड़ी मूर्तियां मंत्र-मुग्ध कर देती हैं। बड़े-बड़े प्रेयर व्हील को घुमा कर प्रार्थना करना अपने आप में अनोखा अनुभव देता है।
प्रेयर व्हील
गोंपा में रखे बड़े प्रेयर व्हील के अलावा यहां के लोग हाथ में भी छोटा-सा प्रेयर व्हील लेकर घूमते हैं। हमने सड़क पर जाते हुए कुछ लोगों को देखा कि वो इन्हें घुमाते हुए चल रहे हैं। हमने पूछा तो उन्होंने बताया कि यह प्रेयर व्हील है। इसमें एक कागज में मंत्र लिख कर रखा जाता है। जब इस प्रेयर व्हील को घुमाया जाता है तो यह मंत्र उच्चारण का प्रभाव देता है।
शांति स्तूप
लेह शहर की ऊंची पहाड़ी पर धवल गुंबद वाला शांति स्तूप, शहर के हर कोने से दिखता है। 600 सीढ़ियां चढ़ने के बाद जो नजारा देखने को मिलता है, उसे केवल स्वयं मह्सूस किया जा सकता है। महात्मा बुद्ध की ऊंची प्रतिमा को निहारने में अद्भुत सुकून मिलता है, वहीं जीवन के चार चरण के चित्र जीवन दर्शन का बयान करते हैं। वहां से पूरा शहर एक ही नजारे में आंखों में सिमट जाता है।
अनोखा महल
यहां के राजा का महल भी अनोखा है। मिट्टी के पहाड़ पर छोटे-छोटे कमरों वाले साधारण भवन में भी महल जैसी भव्यता झलकती है। पहाड़ की ऊंचाई के अनुसार भवन भी ऊंचा-नीचा बना हुआ है। पर इसके शाही अंदाज में कोई कमी नहीं लगती। पहाड़ी पर दूर से बना महल बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी लगता है।
सिंधु नदी के किनारे
सिंधु नदी के किनारे बैठ कर अतीत के गौरव सिंधु घाटी की सभ्यता याद आ जाती है। दूर-दूर तक फैला मैदान कभी पानी बहने की कहानी कह रहा था।
रेगिस्तान और कूबड़ वाला ऊंट
पेनामिक और डिस्किट यहां जुड़वा गांव के रूप में जाने जाते हैं। अपनी विशेषताओं के कारण यहां भी पर्यटक आते हैं। जहां पेनामिक में गरम पानी का झरना दिखाई देता है, वहीं डिस्किट में रेगिस्तान नजर आता है। रेगिस्तान ऐसा कि रेत का रंग सीमेंट के रंग जैसा । डिस्किट में तो ऊंट भी नजर आए वो भी दो कूबड़ वाले। इन गांवों में विचरण करना ऐसा लग रहा था कि हम किसी विचित्र दुनिया में आ गए हैं। इतना तो तय है कि लद्दाख बहुत अनूठा पर्यटन स्थल है। यहां की यात्रा के अनुभव आपके मन पर सदैव अंकित रहेंगे।