संदीप चोपड़ा
नई दिल्ली। सचिन तेंडुलकर को दुनिया का सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में शामिल किया
जाता है। लेकिन कुछ ऐसी चीजें थीं जिन्हें सचिन भी हासिल नहीं कर पाए। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान
कपिल देव के मुताबिक सचिन निर्दयी बल्लेबाज नहीं थे। उन्होंने कहा सचिन इतने निष्ठुर नहीं थे कि वह अपने
शतक को 200 या 300 में बदल सकें। सचिन तेंडुलकर के नाम मार्वेन अट्टापट्टू, वीरेंदर सहवाग, जावेद
मियांदाद, यूनिस खान, और रिकी पॉन्टिंग की तरह की तरह टेस्ट क्रिकेट में छह दोहरे शतक हैं। सर डॉन ब्रैडमैन
इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं जिनके नाम 12 दोहरे शतक हैं। 'सचिन के पास जितनी प्रतिभा थी उतनी मैंने किसी
और में नहीं देखी। वह जानते थे कि शतक कैसे लगाना है लेकिन वह कभी निष्ठुर बल्लेबाज नहीं बने। सचिन के
पास क्रिकेट में सब कुछ था। वह शतक बनाना जानते थे लेकिन उस शतक को दोहरे शतक और तिहरे शतक में
बदलना उन्हें नहीं आता था।' पूर्व ऑलराउंडर को लगता है कि सचिन तेंडुलकर के नाम कम से कम तीन तिहरे
शतक और 10 डबल सेंचुरी होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'सचिन को कम से कम तीन ट्रिपल सेंचुरी और 10
डबल सेंचुरी लगानी चाहिए थी क्योंकि वह फास्ट बोलर और स्पिनर दोनों को हर ओवर में चौका लगा सकते थे।'
सचिन ने भारत के लिए 200 टेस्ट मैच खेले और 15921 रन बनाए। उनका बल्लेबाजी औसत 53.78 का था।
टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक लगाने वाले सचिन ने अपना पहला दोहरा शतक लगाने में 10 साल का वक्त लिया।
न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में 217 रन बनाकर उन्होंने अपनी पहली डबल सेंचुरी लगाई। सचिन के टीम के
साथी खिलाड़ी और भारतीय टीम के कोच रहे कपिल देव को लगता है कि बड़ा स्कोर न बड़ा बना पाने की जड़ें
सचिन की मुंबई स्कूल ऑफ बैटिंग में हैं। कपिल ने कहा कि सचिन को शतक बनाने के बाद निर्मम रवैया अपनाते
हुए गेंदबाजों पर धावा बोल देना चाहिए था। हालांकि, उन्होंने इसके बिलकुल उलट किया और शतक बनाने के बाद
'सिंगल' लेना शुरू कर देते थे। मौजूदा दौर की बात करें तो भारतीय कप्तान विराट कोहली के नाम सात दोहरे
शतक हैं। वह सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाने वाले भारतीय बल्लेबाज हैं। तिहरे शतक की बात करें तो भारत के
सिर्फ दो ही बल्लेबाज ऐसा कर सके हैं। वीरेंदर सहवाग ने दो बार और करुण नायर ने एक बार ऐसा किया है।