अनिल रावत
हैदराबाद। भारत भले ही पीवी सिंधू के रूप में अपने पहले विश्व चैंपियन की
सफलता का जश्न मना रहा हो लेकिन राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि भविष्य
को लेकर चिंता करने का कारण है क्योंकि देश ने ‘कोचों में पर्याप्त निवेश’ नहीं किया है। ओलंपिक रजत
पदक विजेता सिंधू रविवार को बैडमिंटन में भारत की पहली विश्व चैंपियन बनी जब उन्होंने फाइनल में
जापान की नोजोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में हराया। गोपीचंद का हालांकि मानना है कि देश को यह
तथ्य स्वीकार करना होगा कि तेजी से सामने आ रही प्रतिभा को संभालने के लिए पर्याप्त कोच नहीं हैं।
गोपीचंद ने मंगलवार रात यहां सिंधू की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘हमने कोचों में पर्याप्त निवेश
नहीं किया है।’’ द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता गोपीचंद को सिंधू ही नहीं बल्कि साइना नेहवाल और के
श्रीकांत सहित अन्य खिलाड़ियों को निखारने का श्रेय भी जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम स्तरीय कोच तैयार
नहीं कर पा रहे हैं और यह ट्रेनिंग कार्यक्रम नहीं है। यह हमारे आसपास के माहौल से जुड़ा मामला है।
इसलिए हमें इस खाई को पाटने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।’’ गोपीचंद ने कहा कि टीम के
साथ दक्षिण कोरिया के किम जी ह्युन जैसे कुछ विदेशी कोच हैं लेकिन सामने आ रही प्रतिभा को
संभलाने के लिए अधिक कोचों की जरूरत है। गोपीचंद ने कहा कि अनुभवी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के
खिलाफ मैचों की रणनीति बनाने के लिए अधिक कोचों की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसे हासिल
नहीं किया है। उम्मीद करता हूं कि जब इस पीढ़ी के लोग जाएंगे तो हमें असल में ये लोग मिलेंगे।
अगर ये लोग दोबारा कोचिंग से जुड़ते हैं तो हमें उतने कोच मिल जाएंगे जितने की जरूरत है।’’ पूर्व
आल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद ने कहा कि व्यस्त कार्यक्रम के कारण भी अधिक कोचों और
फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत है।