SC/ST एक्ट के खिलाफ बंद में हिंसा के दौरान 11 की मौत, कहां चूकी सरकार

asiakhabar.com | April 3, 2018 | 5:03 pm IST
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एसी-एसटी एक्ट को लेकर दिए गए फैसले के खिलाफ दलितों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान देश में खूब हिंसा हुई और इसमें लगभग 11 लोगों के मारे जाने की खबर है वहीं करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। भारत बंद” के दौरान मप्र के भिंड़, मुरैना, ग्वालियर में हिंसा में सर्वाधिक छह मौतें हो गईं वहीं राजस्थान व उप्र से भी एक-एक मौत की खबर है।

देशभर में सैकड़ों लोग घायल हो गए, हजारों वाहनों-दुकानों में तोड़फोड़, लूटपाट, आगजनी हुई। कई शहरों में पुलिस व आंदोलनकारियों के बीच झड़पें हुईं। ट्रेनों व बसों पर पथराव किया गया। 100 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अजा-जजा अत्याचार निरोधक कानून 1989 के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का हवाला देते हुए इसे नरम कर दिया था। फैसला तत्काल लागू हो गया था। इसमें तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई और गिरफ्तारी से पहले सात दिन में जांच करने और जरूरत पड़ने पर अग्रिम जमानत का भी प्रावधान किया गया है। फैसले के क्रियान्वयन के लिए गाइडलाइन जारी की थी।

इसके मुताबिक-

– कानून के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का हवाला देते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिए थे।

– सरकारी कर्मी के लिए : तुरंत गिरफ्तारी नहीं। इनकी गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत से होगी।

– आम लोगों के लिए : गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी।

– अदालतों के लिए : अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे। विवेक से जमानत मंजूर या नामंजूर करेंगे।

यह रिपोर्ट बनी थी आधार

दरअसल, एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 शिकायतें दर्ज हुई थीं, जिनमें जांच में 935 झूठी पाई गई थीं।

यह असर हुआ, दलित संगठन हो गए खफा

फैसले से देशभर के दलित संगठन खफा हो गए। उन्होंने सरकार से पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की। दलित मंत्रियों और विपक्ष ने भी ऐसी ही मांग की।

देरी पर सरकार की दलील

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने पुनर्विचार याचिका का फैसला कर लिया था। छुट्टियों व ठोस आधार पर याचिका दायर करने में वक्त लगा।

यहां चूक गई सरकार

दलित संगठनों ने बसपा के समर्थन से सोमवार को भारतबंद का आह्वान किया था, लेकिन केंद्र व राज्य सरकारें इसके विकराल रूप लेने की आशंका का भांप नहीं सकीं। पंजाब सरकार ने रविवार को ही परीक्षाएं निरस्त करने जैसे कदम उठाकर हिंसा रोकने के प्रयास किए।

भाजपा शासित राज्यों में ज्यादा हिंसा

जहां ज्यादा हिंसा हुई उनमें अधिकांश भाजपा शासित राज्य हैं-मप्र, उप्र, राजस्थान, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र। इनके अलावा पंजाब, ओडिशा, दिल्ली में भी हिंसक प्रदर्शन हुए। मालूम हो, मप्र, राजस्थान, छग में अगले कुछ माह में विस चुनाव भी होने हैं। दलित आक्रोश भड़काने की सियासी वजहें भी हैं।

केंद्र ने कहा- सरकार पुराना कानून बहाल करने के पक्ष में

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वह अजा-जजा कानून के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। सरकार पुराने कानून को बहाल करने के पक्ष में है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार को इस केस में पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया?


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