नई दिल्ली। देश के इतिहास में पहली बार हुए एक असाधारण घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह प्रेस कॉन्फ्रेस सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस चेलमेश्वर ने की। उन्होंने इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी अपनी चिट्ठी भी सार्वजिनक की है।
दूसरी तरफ, सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जजों के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को गंभीरता से लेते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मसले पर बातचीत की है और पूरी रिपोर्ट मांगी है।
जजों द्वारा इस तरह से मीडिया के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत का कहना है कि यह ऐतिहासिक घटना है। इस तरह से जजों के सामने आने का मतलब है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा या फिर आतंरिक रूप से कोई गहरा मतभेद है।
इससे पहले 4 जजों ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि यह बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमें लगता है कि पिछले दिनों आए कुछ फैसलों के सामने आने से न्याय देने की प्रक्रिया पर काफी बुरा असर पड़ा है। साथ ही उच्च न्यायलयों की स्वतंत्रता भी प्रभावित हुई है।
इसमे आगे लिखा है, ‘देश के न्यायशास्त्र में लिखा है कि चीफ जस्टिस अपने समानांतरों में सबसे पहले हैं, इससे ज्यादा नहीं और इससे कम नहीं। ‘
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हमने पिछले दिनों चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी। इसमें एक केस को लेकर बात की गई है। उन्होंने कहा कि यह शिकायत पिछले दो महीनों के हालात को लेकर है। हमें लगता है कि कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हमने मिलकर चीफ जस्टिस को इस बात की जानकारी दी कि कुछ चीजें सही नहीं हैं और इसे ठीक करने के लिए कदम उठाए जाएं लेकिन हमारी कोशिश असफल रही। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में लोगों की आस्था बनी रहे, कल कोई यह ना कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी।