NEET के बिहार टॉपर डॉक्टर जॉन को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार

asiakhabar.com | October 25, 2017 | 5:30 pm IST

पटना। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल) में छापेमारी कर डॉक्टर जॉन मेहता उर्फ राजीव रंजन को गिरफ्तार कर लिया।

बिहार में मधेपुरा का निवासी डॉ. जॉन रेडियोलॉजी विभाग में मेडिकल का पोस्ट ग्रेजुएट छात्र है। उसका कनेक्शन उस गिरोह से है, जो राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा ( नीट), 2017 में सेटिंग के खेल के लिए कुख्यात है।

गिरोह ने सेट छात्रों के कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर अपलोड कर स्क्रीन शेयरिग के जरिये पेपर सॉल्व कराया था। जॉन इस कारनामे का अब तक का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सीबीएसई द्वारा नीट का आयोजन हुआ था। धांधली की शिकायत पुलिस और कोर्ट तक पहुंची थी। उसके बाद जांच-पड़ताल की गति तेज हुई।

दिल्ली क्राइम ब्रांच की मानें तो सॉल्वर गैंग ने करोड़ों रुपये की सौदेबाजी की थी। डॉ. जॉन को मुंहमांगी रकम मिली थी।

कोर्ट में पेशी के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया। पूछताछ में डॉ. जॉन ने इस गिरोह में शामिल कई डॉक्टर और सेटिंग के जरिये मेडिकल कॉलेजों में दाखिला प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों ने नाम उजागर किए हैं। वहीं छापेमारी और गिरफ्तारी से पीएमसीएच में हड़कंप मचा हुआ है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नीट में धांधली की शिकायत पर कांड 13/17 के तहत केस दर्ज किया था।

सॉल्वर गैंग के सरगना, सॉफ्टवेयर हैक करने वाले इंजीनियर और ऑपरेटर सहित 22 लोग गिरफ्तार किए गए।

उन सबके विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। उसी तहकीकात के सिलसिले में डॉ. जॉन के कारनामों के बारे में पुलिस को पता चला और फिर उसे दबोचा गया।

पीजी परीक्षा में बैच का टॉपर था- 

डॉ. जॉन मधेपुरा में बिहारीगंज थाना क्षेत्र के तुलसिया गांव का निवासी है। 2009 में उसे पीएमसीएच में एमबीबीएस में दाखिला मिला था। 2017 की पीजी परीक्षा में वह अपने बैच का टॉपर रहा। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही वह सॉल्वर गैंग से सांठगांठ करने लगा था।

पिछले दो साल से वह नीट की ऑनलाइन परीक्षा में सॉफ्टवेयर हैक कर सेटिंग कर रहा था। क्राइम ब्रांच के पास इसके पुख्ता सुबूत हैं। पीजी में सफलता दिलाने के लिए एक विद्यार्थी से 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक में सौदा होता था। डॉ. जॉन को प्रति विद्यार्थी 20 से 30 लाख रुपये तक मिलते थे।

दिल्ली क्राइम ब्रांच के मुताबिक डॉ. जॉन के खिलाफ दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश और हरियाणा के रोहतक में भी मेडिकल परीक्षा में फर्जीवाड़े का केस दर्ज है।


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