कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने अंतर्जातीय और अन्य धर्म के लोगों के साथ विवाह के मामलों पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हर प्रेम विवाह को ‘लव जिहाद’ नहीं कहा जा सकता। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी कन्नूर के रहने वाले श्रुति और अनीस हमीद की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई।
श्रुति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और अपने पति अनीस हमीद के साथ रहने की इजाजत मांगी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में श्रुति को पति अनीस के साथ रहने की इजाजत दे दी है।
अनीस पर आरोप लगाया गया था कि उसने श्रुति को अगवा कर लिया था और उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया। ये भी आरोप था कि अनीस ने श्रुति के साथ जबरदस्ती निकाह किया।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘हर प्रेम विवाह को लव जिहाद नहीं कहा जा सकता है। इस तरह की शादियों (श्रुति-अनीस का मामला) को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि प्यार की कोई सीमा नहीं होती। हम राज्य में हर अंतर-धार्मिक विवाह को लव जिहाद या घर वापसी की नजर से देखे जाने के ट्रेंड को देखकर भयभीत हैं। ऐसा तब किया जा रहा है जब पति-पत्नी के बीच शादी से पहले निःस्वार्थ प्रेम रहा हो।’
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने लता सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार मामले में 2004 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया जिसमें अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
हाईकोर्ट इससे पहले एक प्रेम विवाह कर चुका है रद्द –
केरल हाईकोर्ट ने 25 मई को हिंदू लड़की हादिया (24) के केरल के मुस्लिम शफीन जहां से निकाह को रद्द करार दिया था और उसे उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था। हादिया ने शफीन से दिसंबर 2016 में निकाह किया था। आरोप है कि निकाह से पहले महिला का धर्म परिवर्तन कराया गया था। शफीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केरल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश –
जुलाई में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को यह कहते हुए मामले की जांच सौंपी थी कि वो इस मामले की पूरी तस्वीर सामने लाए। वो ये भी पता करे कि ये केवल इकलौती घटना है, जो छोटे इलाके तक ही सीमित है या फिर इस मामले में कुछ बड़ा था।
साथ ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ये भी जांच कर रहा है कि क्या हाईकोर्ट को याचिका के आधार पर इस शादी को खारिज करने का अधिकार है भी या नहीं।
केरल सरकार का यह है स्टैंड –
केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हिंदू महिला के मुस्लिम धर्म स्वीकार करने और मुस्लिम युवक से विवाह के मामले में एनआईए जांच की जरूरत नहीं है। इस मामले में पुलिस ने पूरी जांच की है और इसमें ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, जिससे ये मामला एनआईए को सौंपा जाए।
एनआईए ने SC से ये कहा –
सुप्रीम कोर्ट में एनआईए की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने दलील दी थी कि जांच एजेंसी का यह मानना है कि महिला का धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम शख्स से निकाह कराना लव जिहाद से अलग घटना नहीं है। लव जिहाद के अन्य मामलों में भी यही लोग शामिल थे, जिन्होंने उन हिन्दू लड़कियों के धर्म बदलवाए जिनके अपने मां-बाप से मतभेद थे।