चंडीगढ़। मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए नीति बनाने के संबंध में विचाराधीन मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से राज्य और केंद्र स्तर पर मानव अंग प्रत्यारोपण के आंकड़े मांगे हैं। हाई कोर्ट ने इससे पहले पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को मानव अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे मरीजों और मानव प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध सुविधाओं के आंकड़े अदालत में पेश करने के आदेश दिए थे।
हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों राज्यों और चंडीगढ़ से अब तक किए गए मानव अंग प्रत्यारोपण के ऑपरेशनों के आंकड़े भी मांगे हैं। इस मामले में खंडपीठ ने सभी संबंधित पार्टियों के वकीलों को ऐसे सुझाव पेश करने को कहा था, जिन्हें हाई कोर्ट अपने आदेशों में शामिल कर पाए ताकि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गंस एंड टिश्यू एक्ट 1994 के तहत होने वाले मानव अंग प्रत्यारोपणों पर उठते सवालों के उपयुक्त जवाब तलाशे जा सकें। इस याचिका की सुनवाई के साथ हाई कोर्ट मौद्रिक लाभ के लिए अंगदान करने की प्रवृत्ति को नियमित करने के विकल्पों पर भी विचार कर रहा है ताकि अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में होने वाले मौतों को घटाया जा सके।
मामले की सुनवाई के दौरान विश्र्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2007 में किए गए सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए एडवोकेट मनीषा गांधी ने कहा कि लगभग 10 वर्ष पहले हर साल 2000 लोगों द्वारा अपने अंग बेचने की रिपोर्ट सामने आई थी और वर्तमान में यह संख्या काफी अधिक हो सकती है। किडनी जैसे अंग बेचने के लिए एक केंद्रीय नियामक प्राधिकरण गठित किए जाने का सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि इस मामले में अंगदान करने वाले और मरीजों के बीच होने वाले लेनदेन को नियमित करने के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। इससे ऐसी गतिविधियों में होने वाली दलाली की समस्या से निपटा जा सकता है।