नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने परीक्षा प्रणाली में सुधार किया है। सीबीएसई का अपडेट सॉफ्टवेयर परीक्षा परिणाम के नंबरिंग और जोड़ में एक भी एरर होने पर रेड सिग्नल दिखा देगा।
पिछले वर्ष परिणाम में गलतियों में सुधार के लिए जोड़े गए आउट लायर सॉफ्टवेयर को पूरी तरह अपडेट कर लिया गया है। अब यह परिणाम जारी होने से पहले ही छात्रों की उत्तर पुस्तिका व अन्य विषयों में मिले परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन करेगा और जहां गलती हुई है उसे इंगित करेगा।
जब तक गलती दुरुस्त नहीं होगी, सॉफ्टवेयर से परिणाम तैयार करने का ग्रीन सिग्नल नहीं मिलेगा। इससे परिणाम में सौ फीसद सुधार होगा।
इसके बाद भी अगर छात्रों को किसी भी तरह आपत्ति है तो उत्तर पुस्तिका की फोटो कॉपी हासिल कर बोर्ड में शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
इसके अलावा अंकपत्र में गलतियां सुधारने के लिए छात्रों को पांच साल का समय दिया जाएगा। इससे पहले एक वर्ष का समय मिलता था। अंकपत्र में जन्म तिथि या नाम की स्पेलिंग में गलती आदि सुधार करवा सकेंगे।
अभी तक यह थी व्यवस्था
परीक्षा के बाद जैसे ही कॉपी मूल्यांकन केंद्र पहुंचती है, पहले उस पर बार कोडिंग की जाती है। इससे यह न पता चल सके कि उत्तर पुस्तिका किस छात्र की है।
हर परीक्षा केंद्र में एक चीफ नोडल सुपरवाइजर (सीएनएस) होता है। उनके अधीन चार टीमें होती हैं। इनमें हेड ऑफ एग्जामिनेशन, सहायक मुख्य परीक्षक और विषय के शिक्षक शामिल होते हैं।
विषय विशेषज्ञ शिक्षक ही बतौर सीएनएस चुने जाते हैं। कॉपी मूल्यांकन से पहले बोर्ड कार्यालय में विषय विशेषज्ञ की एक बैठक बुलाकर पूरा प्रश्नपत्र हल किया जाता है।
रुकेंगी ऐसी गलतियां
- यदि किसी छात्र के तीन विषयों में अधिक अंक हैं, मगर दो में बेहद कम तो सॉफ्टवेयर रेड एरर दिखाएगा।
- यदि अंकों के जोड़ में किसी भी तरह की गड़बड़ होती है, तब भी सॉफ्टवेयर में रेड एरर दिखेगा।
- स्कूल में किसी विषय के परिणाम में पिछले साल के मुकाबले बड़ा अंतर दिखेगा तो भी सॉफ्टवेयर पकड़ लेगा।
- सॉफ्टवेयर में कॉपी के अंक चढ़ने के बाद जैसे ही कंपाइलिंग का बटन दबेगा, सॉफ्टवेयर एरर पकड़ लेगा।
- रेड कलर को एरर फ्री करने के लिए ग्रीन करना होगा, इसके लिए जो एरर है उसे सुधारने की दिशा में पूरी प्रक्रिया दोबारा अपनाई जाएगी।
कॉपी जांचने के लिए 10 से 15 साल का अनुभव जरूरी
सीबीएसई के अनुसार, 10वीं के छात्रों की कॉपी टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) और 12वीं के छात्रों की कॉपी पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) जांचते हैं। इन शिक्षकों को 10 से 15 साल का शिक्षण अनुभव होना जरूरी है।
सबसे पहले शिक्षकों से सैंपल के तौर पर कुछ उत्तर पुस्तिकाएं जंचवाई जाती हैं। इसके बाद मूल उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू होता है। हर शिक्षक 6 से 7 घंटे में अधिकतम 25 कॉपियां एक दिन में चेक कर पाता है।
शिक्षकों को निर्देश दिया जाता है कि कॉपी जांचने के दौरान वह जिस प्रश्न के जवाब में अंक दे रहे हैं, उसे उत्तर पुस्तिका के सबसे पहले पेज पर मार्किंग बॉक्स में भरते चलें। इसके बाद मूल्यांकन केंद्र पर ही बोर्ड की ओर से सॉफ्टवेयर लगाया गया है, जहां से बार कोड के अनुसार कॉपी पर मिले अंकों को सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाता है।
जिस दिन परिणाम जारी होता है, उसी दिन छात्र के अंकों को डिकोड किया जाता है।उत्तर पुस्तिका व विषयों में मिले परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन कर गलती को इंगित करेगा सॉफ्टवेयर