लखनऊ। लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी हर मोर्चे पर समीक्षा कर रही है। इस बीच, चर्चा यह भी है कि क्या भाजपा की इस हार का नोएडा से कोई कनेक्शन है?
दरअसल, शुरू से नोएडा शहर यूपी के मुख्यमंत्रियों के लिए अपशकुनी माना गया है। पहले कई बार ऐसा हो चुका है कि मुख्यमंत्री ने नोएडा का दौरा किया और तुरंत बाद किसी न किसी कारण से सत्ता चली गई या सीएम कुर्सी छीन गई। यही कारण है कि बाद के कई मुख्यमंत्रियों ने नोएडा से दूरी बनाए रखी।
यूपी चुनावों में धमाकेदार जीत के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को तोड़ने का फैसला किया था। वे 23 दिसंबर 2017 को नोएडा गए थे। वहां पहुंचने के बाद मीडिया से रूबरू हुए थे और जब पूछा गया कि क्या नोएडा आकर कुर्सी जाने का डर नहीं सताया? मुस्कुराते हुए योगी ने कहा था कि हम बार-बार नोएडा आएंगे और मुख्यमंत्री भी रहेंगे। अगर मायावती को छोड़ दें तो करीब 29 साल बाद प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने नोएडा जाने की हिम्मत की थी।
बहरहाल, अब गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर भाजपा की हार को योगी के नोएडा दौरे से जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ भाजपा कार्यकर्ता कह रहे हैं कि दोनों सीटों पर हमारी जीत पक्की थी, लेकिन फिर भी हार गए, इसका नोएडा से जरूर कोई संबंध है।
नोएडा और अंधविश्वास का पुराना इतिहास
(इससे पहले यूपी के कौन-कौन से सीएम नोएडा गए और उनका क्या हुआ।)
वीर बहादुर सिंह इस अपशगुन के इतिहास को देखें तो शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के साथ हुई घटना से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि साल 1988 में नोएडा से लौटने के तुरंत बाद ही वीर बहादुर सिंह से इस्तीफा मांग लिया गया था।
नारायण दत्त तिवारी: नारायण दत्त तिवारी 1988 में तीसरी बार यूपी के सीएम बने, लेकिन 1989 में नोएडा दौरे के ठीक बाद पद गंवाना पड़ा। तिवारी एक पार्क का उद्घाटन करने नोएडा पहुंचे थे और फिर उनकी सरकार गिर गई थी।
मुलायम सिंह यादव: 1995 में मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने नोएडा का दौरा किया था, लेकिन अगली बार वह सत्ता से बाहर हो गए थे।
मायावती: 1997 में मायावती के नोएडा आने के बाद ही उनकी सत्ता चली गई थी। बसपा प्रमुख 2011 में दोबारा नोएडा आईं और 2012 के चुनाव में हार गई थीं।
कल्याण सिंह: 1999 में सीएम रहते कल्याण सिंह प्रचार के लिए नोएडा आए थे, लेकिन चुनावों में उनकी सरकार नहीं बच सकी। इनके बाद सीएम बने राजनाथ सिंह ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी।
अखिलेश यादव: दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा आए थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनकी अगुवाई करने नहीं गए। अखिलेश ने अपने प्रतिनिधि के रूप में पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव को समारोह में शिरकत करने के लिए भेजा था।