9 साल की उम्र में दलित लड़के को मारा था चांटा, 31 की उम्र में मिला बड़ा सबक

asiakhabar.com | December 29, 2017 | 5:18 pm IST

नई दिल्ली। बचपन की गलतियां कभी-कभी बड़ा सबक लेकर आती हैं। नौ साल की उम्र में हिमांशु शुक्ला ने हम उम्र एक दलित बच्चे को किसी बात के लिए तमाचा मार दिया था। अब 31 साल की उम्र में उसे सजा सुनाई गई है कि उसे कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में एक महिने तक बतौर सफाईकर्मी काम करना होगा।

बकौल हिमांशू, 22 साल पहले किए गए एक छोटे से अपराध की इतनी बड़ी सजा मिली है। मामला शाहजहानपुर जिले के सतवा बुजूर्ग गांव का है। साल 1995 में हिमांशु ने हम उम्र दलित बच्चे को चांटा मार दिया था। उस घटना के बारे में हिमांशु का कहना है कि उसको यह बात याद नहीं है कि उसने उस दलित बच्चे को चांटा क्यों मारा था।

इस घटना के कई साल बाद हिमांशु को इस बात का अहसास भी हुआ कि उसने उस बच्चे के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया था। पुलिस घटना वाले दिन हिमांशु के घर गई और उसके पेरेंट्स से कहा था कि उनके बेटे पर एक दलित बच्चे को प्रताड़ित करने के आरोप में एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उस वक्त हिमांशु को रात को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन अगली सुबह छोड़ दिया गया। उसके बाद बीस सालों तक कुछ नहीं हुआ। बीस साल बाद जुवेनाइल कोर्ट ने हिमांशु को मामले में दोषी पाया और अपने फैसले में कहा कि हिमांशु को सरकार द्वारा चलाए जा रहे कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में एक महिने तक बतौर सफाईकर्मी अपनी सेवाएं देनी होगी।

उस उम्र में दलित का मतलब भी नहीं पता था

हिमांशु ने अपनी सजा को स्वीकार करते हुए पिछले सोमवार से हेल्थ सेंटर में सफाईकर्मी का काम शुरू कर दिया है। उसे इस काम को 25 जनवरी तक करना होगा।

हिमांशू ने कहा कि मैं एक गरीब ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ और मेरी परवरिश अभावों के बीच हुई है। कई सालों बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि मेरे ऊपर आईपीसी की धारा 323 और एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है। उस वक्त मुझे दलित शब्द का मतलब पता नहीं था।

हिमांशु का कहना है कि उस मामले को मैं समय के साथ एक बुरे सपने की तरह भूल चुका था। मैंने गाड़ी चलाना सीखा और ड्राइवर की नौकरी की कर ली। इस दौरान साल 2005 में रेनू से मेरी शादी हो गई। फिलहाल मेरे परिवार में मेरी पत्नी के अलावा मेरे दो बच्चे हैं।

सबकुछ जीवन में अच्छी तरह से चल रहा था कि अचानक 2011 में मुझे कोर्ट का समन मिला, जिससे मुझे पता चला कि मेरे खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और मुझे अब ट्रायल का सामना करना पड़ेगा।

रोजाना 200-250 रुपए कमाकर परिवार का पेट पाल रहा था। ट्रायल के दौरान मेरे काम पर भी असर पड़ा। इस दौरान मुझे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दूसरों से उधार लेकर वकील को 4000 रुपए दिए। उस दौरान कुछ लोगों ने मुझे सलाह दी की मुझे अपनी गलती को स्वीकार कर लेना चाहिए, जिससे मेरी सजा कम हो जाएगी।

अब सजा कम होकर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में 10 बजे से दो बजे तक सफाई करने का काम मिला है। हिमांशू को 25 हजार रुपए का निजी मुचलका भरने के लिए भी कहा गया है। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के डॉक्टर डीआर मनु ने कहा कि हमें हिमांशू को कोई उचित काम देने के लिए कहा गया था। मगर, वह पढ़ा लिखा नहीं है, लिहाजा उसे सफाई करने का काम दिया गया है।


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