चंडीगढ़। हरियाणा के दो आईएएस अफसरों अशोक खेमका और प्रदीप कासनी के पीछे सरकारें हाथ धोकर पड़ी रहती हैं। खेमका का जहां 50 बार तबादला हो चुका, वहीं कासनी 70 बार तबादले झेल चुके हैं। नया मामला कासनी को उनकी रिटायरमेंट से मात्र तीन माह पहले वेतन, आफिस, गाड़ी और स्टाफ नहीं देने का सामने आया है। पर्यावरण विभाग के अधीन आने वाले लैंड यूज बोर्ड का ओएसडी बने कासनी को तीन माह बीत गए, मगर उन्हें एक बार भी वेतन नहीं मिला है।
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) के आदेश के बाद भी हरियाणा सरकार ने प्रदीप कासनी का वेतन जारी नहीं किया है। कैट ने सरकार से वेतन के अलावा दफ्तर, गाड़ी और स्टाफ की सुविधाएं मुहैया कराने पर भी चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। कासनी शुक्रवार तक इंतजार करेंगे। उसके बाद शनिवार और रविवार है। सोमवार को वह फिर कैट में शिकायत दर्ज कराएंगे।
1997 बैच के आईएएस अफसर प्रदीप कासनी पहले एचसीएस थे। उनकी पत्नी नीलम प्रदीप कासनी भी सीनियर आईएएस रही हैं और राज्यपाल के एडीसी पद से हाल ही में रिटायर हुई हैं। मूल रूप से भिवानी जिले के रहने वाले प्रदीप कासनी और उनकी पत्नी नीलम प्रदीप कासनी दोनों ही साहित्यकार हैं।
प्रदीप कासनी का रिटायरमेंट 28 फरवरी 2018 को है। रिटायरमेंट से तीन माह पहले सरकार के इस तरह के बर्ताव पर कासनी बेहद आहत हैं। लैंड यूज बोर्ड का ओएसडी बनने से पहले वे हरियाणा खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में प्रशासक बनाए गए थे। वहां भी उनके पास कोई काम नहीं था।
खादी बोर्ड में करोड़ों की गड़बड़ी करना चाहते थे कुछ लोग
कासनी के मुताबिक खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में कुछ लोग साढ़े पांच करोड़ रुपए की गड़बड़ करना चाहते थे। मैं रोड़ा बन रहा था। इसलिए मुझे वहां से हटा दिया। रही लैंड यूज बोर्ड की बात तो 2008 से आज तक इसका बजट ही नहीं बना है। किसी को यह भी नहीं पता कि यह बोर्ड किसके अधीन किस तरह से काम करता है। 2007 तक इस बोर्ड को पर्यावरण विभाग के अधीन माना जाता रहा है। इसलिए अब वेतन, स्टाफ, ऑफिसर और गाड़ी के लाले पड़े हुए हैं।