46 भारतीय नर्सें 4 साल पहले हुईं थी इराक से अगवा, आज ऐसे जी रही जिंदगी

asiakhabar.com | March 22, 2018 | 5:48 pm IST
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तिरूवनंथपुरम। इराक में 39 भारतीयों की हत्या की खबर से इस वक्त पूरा देश सन्न है। खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में इनके आईएसआईएस द्वारा मारे जाने की बात कही। इन्हें चार साल पहले अगवा किया गया था।

इस खबर के बीच उन 46 नर्सों के आईएस के चंगुल से बचने की कहानी कुछ अलग है, जिन्हें चार साल पहले आईएसआईएस ने तिकरित के एक अस्पताल से अगवा किया था। मगर उन्हें सकुशल बचा लिया गया। मौत के चंगुल से बचकर निकली इन नर्सों ने अब नई जिंदगी शुरू कर दी है। इनमें से 22 नर्सें मध्य एशिया के कई ऐसे देशों में दोबारा काम करना शुरू कर चुकी हैं, जहां अमन-चैन है। वहीं कुछ नर्स अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए मध्य एशिया में ही नौकरी की तलाश में जुट गई हैं। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान इन नर्सों ने अपनी कहानी बताई।

2014 में आईएस ने इन्हें किया था अगवा

आईएसआईएस ने 2014 में इराक पर हमला कर दिया था। एक-एक कर उसके लड़ाके इराकी शहरों पर कब्जा कर रहे थे। इसी दौरान तिकरित में आईएस आतंकियों ने एक अस्पताल में काम कर रहीं इन नर्सों को अगवा कर लिया था। मगर इन्हें आईएस की कैद से छुड़ा लिया गया और जुलाई के पहले हफ्ते में वापस अपने परिवारों के पास भारत भेज दिया गया था। इन चार सालों में इनकी जिंदगी काफी बदल गई।

ऐसे मिली दोबारा नौकरी

नर्सों की जान बच गई और भारत लौटने के 6 महीने के भीतर अस्पताल ने भी सबकी बकाया सैलरी दे दी, मगर नौकरी हाथ से चली गई। ऐसे में केरल सरकार इनकी मदद के लिए आगे आई और मध्य एशिया के कई अस्पतालों से बात करके इनकी नौकरी का रास्ता साफ किया। इसके बाद कोट्टायम जिले की दो जुड़वां बहनें सोना और वीना जोसेफ मध्य एशिया में दोबारा काम करने पहुंच गई हैं।

आईएस की चंगुल से बचने वाली नर्स सोना जोसेफ ने बताया कि, “वहां से बचने के बाद 22 नर्सों को खाड़ी देशों में तुरंत नई नौकरी मिल गई। आधा दर्जन नर्सों को रिक्रूटिंग एजेंसी के जरिए नौकरी मिली।” इराक से लौटने के बाद सोना ने कोट्टायम के कई अस्पतालों में काम किया। मगर 6 महीने पहले ही उसे सऊदी अरब के एक अस्पताल में नौकरी मिल गई।

इन नर्सों के मन में आज भी इराक में मचे कत्लेआम का डर है। इसलिए वो दोबारा वहां नहीं जाना चाहती हैं। नर्सें तो केरल भी नहीं छोड़ना चाहती हैं। मगर यहां उतना पैसा नहीं मिल रहा है, जिससे वो नर्सिंग की पढ़ाई के लिए लोन को चुका सकें। इसलिए मजबूरी में खाड़ी देशों में नौकरी करने जा रही हैं। ये किसी एक नर्स की कहानी नहीं है। बल्कि तिकरित से आजाद होने के बाद वापस केरल लौटीं सभी नर्सें इसी मुश्किलों को पार कर दोबारा जिंदगी जी रही हैं।


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